दुष्यंत कुमार एक ऐसे कवि हुए हैं, जो युवाओं के दिल को झकझोर कर रख दिया करते थे। आज भी उनकी रचनाएं युवाओं की जुबान पर होती हैं। पिछले रविवार का उन्हीं स्वर्गीय दुष्यंत त्यागी की स्मृति में ऑनलाइन अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। दिल्ली मेट्रो के प्रमुख मंगू सिंह ने मुख्य अतिथि के रूप में कहा, मेरा क्षेत्र तो हथौड़ी, फावड़े और मशीन का है, लेकिन दुष्यंत दलित, शोषित और पीड़ित की आवाज बनकर उभरे।
उन्होंने कहा कि सड़क से संसद तक आंदोलनों में दुष्यंत की भूमिका को याद किया जाता रहा है। कोरोना काल से उपजी नकारात्मक सोच दूर करने के लिए एक शाम, कवियों के नाम का आयोजन हमें सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयप्रकाश अग्रवाल, पूर्व मेंबर ऑफ पार्लियामेंट एवं दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष, और कृषि वैज्ञानिक मदन मोहन माहेश्वरी, सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट मनीषा शर्मा और जनपद बिजनौर से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों के लोगों ने इस ऑनलाइन कार्यक्रम का स्वागत किया है।
कार्यक्रम का आयोजन बिजनौरी काव्य मंच की ओर से किया गया। प्रेरणा स्रोत राकेश जाखेटिया रहे। श्री जाखोटिया ने बताया कि यह एक संयोग है कि दोनों ही नजीबाबाद के निकटवर्ती गांव से संबंधित हैं। जिन्होंने अपने-अपने कार्य क्षेत्र में जनपद बिजनौर की खुशबू देश-विदेश में फैला कर हम सभी को गौरवान्वित किया है।
वर्ष 1975 में दुष्यंत त्यागी का 42 वर्ष की अल्पायु में निधन हो गया। उनके जीवन का लक्ष्य हंगामा खड़ा करना नहीं, सूरत बदलनी चाहिए का रहा है। जीवन पर्यंत लक्ष्य मजदूर, शोषित, दलित और पीड़ित की आवाज को उठाने का रहा है। उन्हें हिंदी गजलों का जनक कहा गया है। उनकी गजलों, गीतों, उपन्यासों और कहानियों में जनपक्ष और कवि धर्म की छटपटाहट नजर आती है।
देश हित में उनके विचारों से प्रभावित होकर भारत सरकार ने उनकी स्मृति में डाक टिकट भी जारी किया था। मंच प्रमुख प्रदीप डेजी एवं युवा कवि शिवेंद्र कौशिक ने मंच संचालन में संयुक्त रूप से भूमिका निभाकर कार्यकर्म को यादगार बना दिया।
धामपुर से अनिल शर्मा ‘अनिल’, नजीबाबाद से वरिष्ठ पत्रकार एवं कवि अजय जैन, मंडावर से कृष्ण कुमार पाठक, ग्रेटर नोएडा से डॉ. विनोद प्रसून, धामपुर की बेटी मुंबई से डॉक्टर वर्षा सिंह आदि ने कवितापाठ किया। कवियों ने अपने भाव कुछ इस प्रकार व्यक्त किए।
दुष्यंत जी जिंदगी में बहुत नाम कर गए।
दुष्यंत जी जिंदगी पे ही एहसान कर गए।
दुनिया में जिनके काम से सबको खुशी मिली।
दुष्यंत जी साहित्य में वो काम कर गए।
डॉ. विनोद ‘प्रसून’ ने आशावादी स्वर में कहा—
बंधी है आज लेकिन कल बहेगी फिर हवाओं-सी,
लहर-सी ज़िंदगी का यह पुराना ज़ाब्ता-सा है।
बिखरते पल समेटो, हौसलों का हाथ बस थामो,
कि इन हालात के आगे मुकम्मल रास्ता-सा है।
अजय जैन ने अपने विचारों की अभिव्यक्ति कुछ इस प्रकार की—
मेरा दुश्मन मेरी सजा का तलबगार था
हो जाती सजा पर मुंसिफ ईमानदार था
दुश्मन ने गहरे तक घोंप दिए थे खंजर
बच गया क्योंकि ईश्वर मददगार था
कृष्ण कुमार पाठक ने दुष्यंत त्यागी को समर्पित भाव व्यक्त किए।
ऊंचा है सर मां शारदे का जिस सपूत से
ऐसे चतुर चितेरे कलाकार हैं दुष्यंत जी।
बिजनौर की माटी महकती आज भी जिससे
ऐसी अनूठी खुशबू के गुलज़ार हैं दुष्यंत जी।
डॉ. अनिल शर्मा ने कविता पढ़ी।
ऐ वतन के लाडलो! कर कड़ा प्रहार दो।
एक ही प्रहार में, शत्रुओं को मार दो।
दुश्मन जो देश में, छिपे हैं छद्म वेश में।
वारदात कर न पाए, देश के परिवेश में।
उनको पहचान करके, रक्त का सिंगार दो।
डॉक्टर वर्षा सिंह यूं कहा—
फूल कहे मकरंद से, मुझमें तेरी गन्ध
प्यार परस्पर बांटकर, महक रहे संबंध।
छल कपट अनाचार का, कैसे हो उपचार
प्रभु राम धरती पर लो, फिर से तुम अवतार।
युवा कवि कुमार शिवेंद्र कौशिक अपने गणेश जी को याद किया।
ओह लाल बाग के राजा। आ मेरे घर भी आजा।
तुझे छप्पन भोग कराऊं। मोदक तू आकर खा जा।
आजा आजा आजा आजा। एक बार फिर आजा।
कार्यक्रम के अंत में राकेश जाखेटिया ने श्रोताओं को धन्यवाद दिया।