The Black Truth of Black Fungus: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर झेल रहे लोगों में ब्लैक फंगस के खौफ में लगातार इजाफा हो रहा है। यहां तक कहा जा रहा है कि इस बार कोरोना से अधिक मौतों के लिए ब्लैक फंगस का ही काला सच जिम्मेवार है। जानते हैं कि आखिर ब्लैक फंगस है क्या? और कैसे बचें?
The Black Truth of Black Fungus: घबराएं नहीं, सावधान रहें
इंफोपोस्ट न्यूज
The Black Truth of Black Fungus: सबसे पहले जानते हैं कि फंगस क्या होता है? फंगस दरअसल एक कवक जीव हैं, जो जमीन और हवा में उपस्थित होते हैं। आम बोलचाल की भाषा में इसे भुकुड़ी या फफूंद कहते है। सामान्य फंगस इंफेक्शन भी काफी परेशान कर देता है। इससे उत्पन्न एलर्जी यदि एंटीएलर्जिक दवाओं से कंट्रोल न हुई तो मरीज को लांगऐक्टिंग पेंसिलीन का इंजेक्शन तक देने की जरूरत होती है। लेकिन पेंसिलीन देने से पहले उसका टेस्ट जरूरी है।
अब जानते हैं कि ब्लैक फंगस क्या है? डॉक्टर समीर भाटी के मुताबिक, म्यूकल माइकासिस या ब्लैक फंगस से उत्पन्न बीमारी आंख, नाक, कान, गला और शरीर के दूसरे महत्वपूर्ण अंगों को प्रभावित करती है। यह बीमारी इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने की वजह से होती है। पिछले साल भी ब्लैक फंगस के कई मामले सामने आए थे।
किसे होता है ब्लैक फंगस का गंभीर इंफेक्शन?
ब्लैक फंगस का गंभीर इंफेक्शन उन लोगों में ज्यादा होता है जो किडनी, कैंसर या मधुमेह से संबंधित बीमारियों के शिकार होते हैं। जिनका ब्लड शुगर लेबल 300 से ज्यादा होता है, उन्हें ब्लैक फंगस के इंफेक्शन का खतरा अधिक होता है। ब्लैक फंगस को प्राणघातक इसलिए माना जा रहा है कि इसमें मौत दर 50 प्रतिशत होती है।
यह सच नहीं है कि ब्लैक फंगस का इंफेक्शन कोविड से ठीक हुए मरीजों में ही होता है। लेकिन ज्यादातर ब्लैक फंगस के मामले कोविड से ठीक हुए मरीजों में ही पाए जा रहे हैं। क्योंकि कोविड के मरीजों के उपचार में स्टेराइड और एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल बहुतायत से किया जाता है। इन दवाओं के इस्तेमाल से मरीज की इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है। इसी परिस्थिति में ब्लैक फंगस के संक्रमण की आशंका पैदा हो जाती है।
कुछ खास बातों का रखना होगा ध्यान
ब्लैक फंगस के इंफेक्शन से बचने के लिए कुछ खास बातों का ध्यान रखना होगा। पहली बात, अगर आप डायबिटिक हैं तो आपको अपना शुगर लेबल कंट्रोल में रखना होगा। इसके अलावा जीवन रक्षक दवा स्टेराइड डॉक्टर की सलाह पर ही लें।
कुछ कोविड संक्रमितों को आक्सीजन की जरूरत होती है। जिन्हें आक्सीजन दी जाती है, उनके लिए इस बात का ध्यान रखना होगा कि हयूमेडिटी फायर में जो पानी डालें वह साफ हो। डिस्टिल वाटर हो तो और भी अच्छा। लेकिन पानी टपकना नहीं चाहिए। मरीज का बिस्तर कहीं भी गीला नहीं होना चाहिए। और बिस्तर की साफ सफाई का पूरा ध्यान रखा जाए।
कैसे पता लगाएं कि ब्लैक फंगस का है इंफेक्शन?
मरीज को अगर कहीं चोट लगी है तो घाव के स्थान को साफ पानी से धोना चाहिए। क्योंकि ब्लैक फंगस शरीर में मुंह, नाक या घाव के स्थान से प्रवेश करता है। ब्लैक फंसस का इंफेक्शन यदि सिर में हुआ है तो चेहरे के आधे भाग में सूजन आ जाती है। शरीर पर यदि कहीं काला धब्बा या घाव हो और वह तेजी से फैले तो यह फंगस इंफेक्शन का लक्षण हो सकता है।
अगर फेफड़े में ब्लैक फंगस का इंफेक्शन हुआ है, तो खांसी आएगी। सीने में दर्द होगा और सांस लेने में तकलीफ महसूस होगी। अगर शरीर की त्वचा पर ब्लैक फंगस का इंफेक्शन है तो छाले नजर आएंगे और इंफेक्शन वाली जगह पर त्वचा काली हो जाएगी। कुछ मरीजों को आंख में दर्द होता है। पेट दर्द, उल्टी और तेज बुखार की भी शिकायत हो सकती है।
शुरुआती चरण में ब्लैक फंगस का इलाज संभव
The Black Truth of Black Fungus: ब्लैक फंगस के शुरुआती चरण का पता लगाने के लिए इस बात पर ध्यान देना होगा कि कोरोना की रिकवरी स्टेज में नाक में कोई रुकावट तो नहीं है। चेहरे पर कोई सूजन है या किसी तरह का दर्द महसूस हो रहा है तो भी सतर्क हो जाएं। इसके अलावा मुंह में कोई अल्सर है तो तुरंत डाक्टर से संपर्क करना होगा।
शुरुआत में ही ध्यान देने से न केवल मरीज की जान बचाई जा सकती है, बल्कि उसके अंगों को भी नुकसान से बचाया जा सकता है। कह सकते हैं कि शुरुआती स्टेज में ब्लैक फंगस का इलाज संभव है। यदि कोरोना मरीज अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर आ गया है तो उसकी साफ सफाई का और भी ध्यान रखा जाना चाहिए। क्योंकि अस्पताल से घर आ जाने पर लापरवाही होती है। क्या इस आलेख से आपकी चिंता दूर हुई, कमेंट करके बता सकते हैं। साथ ही यह भी बता सकते हैं कि ब्लैक फंगस के बारे में आप और क्या जानता चाहते हैं?