
आर.के.तिवारी
नई दिल्ली। राजनीति के लिए भीड़ एक नशे की तरह होती है। नेता को भीड़ से दूर कर देने पर उसकी जिजीविषा खलास होने लगती है। शायद यही वजह है कि भीड़ नेता के लिए संजीवनी की तरह होती है। अगर यह कहा जाए कि भीड़-भाड़ नेता की आदत में शुमार है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। पूरे कोरोना काल में तमाम अवसर आए जब सोशल डिस्टेंसिंग यानी सामाजिक दूरी के नियमों का उल्लंघन किया गया।
केरल में शुरुआती मामलों पर नियंत्रण के बाद अब हालात चिंताजनक स्थिति में पहुंच रहे हैं। कोरोना से दो लोगों की मौत हो चुकी है और कुल 100 से ज्यादा पॉजिटिव केस सामने आ गए हैं। WHO ने कोरोना को पूरी दुनिया के लिए महामारी घोषित कर दिया है तो भारत में इसे राष्ट्रीय आपदा की श्रेणी में रखा गया है। फिर भी केंद्र से लेकर राज्य सरकारें जहां तैयारियों के दावे कर रही हैं, तो हालात नाजुक होने के बावजूद सियासत भी अपने चरम पर है।
एक तरफ जहां कोरोना चीन में तबाही मचा रहा था, वहीं दूसरी तरफ 30 जनवरी को केरल के जरिये कोरोना भारत में दाखिल हो चुका था। तीन लोगों में संक्रमण की पुष्टि के बाद 3 फरवरी को राज्य में इमरजेंसी घोषित कर दी गई। केरल सरकार के ये कदम हालात की संवेदनशीलता बताने के लिए काफी थे। बाद में ये तीनों ही मरीज ठीक हो गए।
लेकिन अब हालात नाजुक हो गए हैं। देश में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। रविवार (15 मार्च) दोपहर तक यह आंकड़ा 105 पहुंच गया। इनमें 11 मरीज ठीक हो चुके हैं और दो लोगों की मौत हो चुकी है। हालात ऐसे हो गए हैं कि कई राज्यों को कोरोना को महामारी घोषित करना पड़ा है। और तो और जम्मू-कश्मीर के कुछ जिलों में धारा 144 लागू की गई है।
इन तमाम एहतियाती कदमों के बावजूद एक तरफ जहां कोरोना वायरस पैर पसार रहा है तो देश का सियासी घटनाक्रम भी गरमाया हुआ है। सरकारें भीड़ से दूर रहने के विज्ञापन दे रही हैं, लेकिन सत्ता की बागडोर संभालने वाले राजनेता भीड़ से मोह त्याग नहीं पा रहे हैं। उनका सियासी जोड़-तोड़ का खेल कोरोना वायरस की परवाह किए बिना जारी है।
दिल्ली में कोरोना से एक मौत हो चुकी है, लेकिन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शायद इससे बेपरवाह हैं। एनपीआर और एनआरसी पर चर्चा के लिए उन्होंने शुक्रवार को दिल्ली विधानसभा में विशेष सत्र बुलवा लिया। सत्र में शामिल होने के लिए सभी विधायक आए। विधानसभा में एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पास हुआ।
ज्यातिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस से इस्तीफे के बाद मध्य प्रदेश की सियासत बदल गई। सिंधिया ने होली के मौके पर कांग्रेस से इस्तीफा देकर दो दिन बाद बीजेपी का दामन थाम लिया। इसके बाद जब वो भोपाल पहुंचे तो बीजेपी कार्यकर्ताओं और सिंधिया समर्थकों के भारी हुजूम ने उनका स्वागत किया। यानी एयरपोर्ट से लेकर सड़क और बीजेपी पार्टी मुख्यालय तक भारी भीड़ देखी गई। दूसरी तरफ बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टी के विधायक ट्रैवल कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर राष्ट्रपति तक ने कोरोना वायरस के चलते अपना होली मिलन समारोह रद्द कर दिया था, लेकिन कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया जब गृह मंत्री अमित शाह से मिलने पहुंचे तो गले मिलते नजर आए। दिलचस्प बात ये है कि पूरी दुनिया जहां नमस्ते बोलकर एक-दूसरे का अभिवादन कर रही है, वहीं सिंधिया शाह के हाथों में हाथ लिए दिखाई दिए।
राज्यसभा चुनाव के लिए सिंधिया के नामांकन के दौरान भी समर्थकों को पूरा हूजूम दिखा। इनमें मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और भोपाल की बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर विक्टरी साइन के साथ दिखीं।
होली से दूर रहने वाले पीएम मोदी भी राज्यसभा चुनाव की गतिविधियों से खुद को अलग नहीं रख सके। राज्यसभा उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा के लिए बीजेपी केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में पीएम मोदी समेत गृहमंत्री अमित शाह ने हिस्सा लिया। अमित शाह 15 मार्च रविवार को भी कश्मीर के नेताओं से मिलकर मीटिंग कर रहे थे।
समाजवादी पार्टी (सपा) भी बैठकों और सियासत से अछूती नहीं रही। पार्टी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक लखनऊ में शनिवार को हुई। पार्टी के 19, विक्रमादित्य मार्ग स्थित कार्यालय पर हुई बैठक के बाद राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरणमय नंदा ने बीजेपी पर निशाना साधा।
चीन जैसे ताकतवर देश में जहां कोरोना वायरस कहर बरपा चुका है और अमेरिका जैसी महाशक्ति को भी आपातकाल की घोषणा कर चुनावी कार्यक्रम तक टालने पड़े हैं, वहीं स्वास्थ्य सेवाओं की हालत चिंताजनक होने के बावजूद भारत में राजनीतिक गतिविधियां, जोड़-तोड़, सरकार गिराने और बनाने की कोशिशें की जा रही हैं।