
वो कौन है? क्या वो वैसा ही है, जैसा हमें मीडिया दिखाता है? या फिर वो वैसा है, जैसे हम मीम्स में देखते हैं। वो ‘मन की बात’ में शांत तरीके से उदाहरण बताते हुए जनता को समझाता है, वो संसद में हास-परिहास से विरोधियों को चित कर देता है, चुनावी भाषणों में जनता से सीधा संवाद करता है और देश के दुश्मनों को चेताते समय गर्जन करता है। वो ऐसा ही है क्या? देश के हर जिले के हजारों-लाखों कार्यकर्ताओं के डिटेल्स याद रखने वाला, किसी परिचित को दशकों बाद सरप्राइज देकर चौंका देना वाला या बड़े-बुजुर्ग नेताओं के पाँव पड़ने से भी नहीं हिचकिचाने वाला… वो ऐसा ही है शायद!
कहाँ से शुरू करें? जब दिल्ली की ABC तक भी नहीं जानने वाला अचानक से 1996 में भाजपा दफ्तर में पहुँचा और पार्टी की तस्वीर बदलने के लिए जान लड़ा दी। या फिर वहाँ से शुरू करें, जब उसने मणिनगर से विधायक बनने के बाद उसे ‘मिनी इंडिया’ के रूप में विकसित करना शुरू कर दिया। या फिर वहाँ से, जब श्मसान घाट में अचानक से उसे वाजपेयी जी का कॉल आ गया कि तुम्हें CM बनाया जा रहा है। या फिर वहाँ से शुरू करें, जब 1986 में संघ से BJP में आते ही उसने गुजरात नगर निगम को पार्टी की झोली में डाल दिया। या फिर वहाँ से, जब 1995 में कॉन्ग्रेसी दिग्गजों के रहते भी राज्य में पार्टी को जीत दिलाई और सरकार गठन में अहम भूमिका निभाई।
भारत के यशस्वी Narendra Modi के जन्मदिवस के दिन उन्हें बदनाम करने की कोशिश करने वालों को शायद पता नहीं है कि ये विरोध करने का तरीका नहीं है। सोशल मीडिया पर ट्रेंड्स चलाने वालों को पता होना चाहिए कि उनकी शख्सियत ऐसी है, जिसे उनके हजार जन्म लेने के बावजूद भी बदनाम नहीं किया जा सकता। जिस लिखने-बोलने की आज़ादी के तहत वो ये सब कर रहे हैं, वो भी मोदी ने ही अक्षुण्ण रखी है- ये उन्हें पता होना चाहिए क्योंकि केरल, बंगाल और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में इसका क्या अंजाम होता है- ये हम रोज देख रहे हैं। मोदी का कोई निर्णय गलत जा सकता है, मोदी की नीयत को गलत बताने वालों को शायद इलाज की ज़रूरत है।
पीएम मोदी ने जब राजकोट वेस्ट से पहला विधानसभा चुनाव लड़ा, तब वरिष्ठ नेता वजुभाई बाला ने कुर्सी खाली की थी और उन्हें अपनी सीट पर लड़ने को कहा। बाला बाद में गुजरात विधानसभा के स्पीकर बने और अभी कर्नाटक के राज्यपाल हैं। जब मोदी ने अगले 3 चुनाव मणिनगर से जीते, तब कमलेश पटेल ने कुर्सी खाली की थी। वो फिलहाल ‘गुजरात टूरिज्म कॉर्पोरेशन’ के अध्यक्ष हैं। हालाँकि, दिल्ली आने के बाद ये चीजें आसान नहीं रही। वाराणसी से मुरली मनोहर जोशी और PM उम्मीदवार के लिए लालकृष्ण आडवाणी को जगह खाली करनी पड़ी। बाद में इन दोनों ही नेताओं ने मोदी को आशीर्वाद ही दिए, भले ही मीडिया में किस्म-किस्म की कहानियाँ चलीं।
2014 से भारत को बदलने की कवायद शुरू हुई। शायद ही किसी देश का भारतीय प्रवासी समुदाय होगा, जिसमें मोदी की पैठ न हो। संघ और भाजपा संगठन के दिनों में उन्होंने इन परिवारों से अच्छा-खासा सम्पर्क बनाया। PM बनने के बाद इस समुदाय को एकीकृत कर उन्हें भारत के विकास में योगदान देने के लिए प्रेरित किया और पूरे विश्व में देश का डंका बजना शुरू हुआ। तमाम वैश्विक शक्तियाँ भारत की उभरते शक्ति को पहचानने लगी। देश-विदेश की यात्रा करने का परिणाम सुखद रहा। 2013 में भारत में जितना विदेशी निवेश आया था, इस साल उसका दोगुना आया। और हाँ, मोदी ने मनमोहन से कम ही फॉरेन टूर किए।
मिट्टी के चूल्हे से भारत को मुक्त कर के 8 करोड़ महिलाओं को गैस चूल्हे दिए गए। देश की बड़ी आबादी बैंकों से दूर थी। 40 करोड़ बैंक खाते जन-धन के तहत खुले। आज 10 करोड़ किसानों को किसान-निधि के रुपए पहुँचते हैं। 21 करोड़ घरों तक बिजली की पहुँच सुनिश्चित की। कोरोना काल मे भी 80 करोड़ लोगों के लिए अनाज की व्यवस्था की गई (कई विपक्ष शासित राज्यों ने बाँटा ही नहीं)। आज 7 नए IIT, 7 नए IIM, 15 नए AIIMS और 15 नए IIIT मोदीयुग में देश को मिले। शिक्षा बजट 2013 में ₹65,000 करोड़ से अब लगभग ₹1 लाख करोड़ हो गया है। 8 करोड़ आयुष्मान कार्ड्स बने, जिनमें से 65 लाख का इलाज भी हुआ है। 1 करोड़ घर बनाने का लक्ष्य है। 68 लाख शौचालय बने ‘स्वच्छ भारत’ के तहत।
अनुच्छेद-370 और राम मंदिर का खाका तो 2019 से पहले ही बन गया था लेकिन मोदी को लगता था कि ऐसे निर्णयों से लोगों को ये लगेगा कि ये सब चुनावी फायदे के लिए हो रहे हैं। जनता पर भरोसा था, जनता ने भरोसा जताया। दूसरी पारी में इन दोनों बड़े मुद्दों का समाधान किया गया। पहले सारे प्रधानमंत्रियों के स्वतंत्रता दिवस के भाषण पाकिस्तान को गाली देते बीतते थे। इस आदमी ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना ही उसे नेस्तनाबूत कर रखा है। सर्जिकल स्ट्राइक हुआ। एयर स्ट्राइक हुआ। Pak को भाव तक नहीं दिया जाता। चीन टकराया। उसे अंजाम भुगतना पड़ा। तीन तलाक खत्म हुआ।
बात ये है कि नरेंद्र मोदी एक नाम नहीं है बल्कि भारत की पहचान है, देश का प्रतिनिधि है और बदलाव का एक ऐसा वाहक है, जिसे फर्जी ट्रेंड्स से कुछ फर्क नहीं पड़ता। ये आदमी ऐसी-ऐसी चीजों के बारे में भी सोचता है, जिन्हें लेकर हमारी-आपकी कोई समझ नहीं। भारत मे सौर ऊर्जा की कीमत कितनी थी? ₹15/यूनिट। इसे मात्र ₹2.5/यूनिट करने का मैराथन काम मोदी ने किया। अपने ‘स्वीट रेवोल्यूशन’ के बारे में सुना है? भारत मधु के उत्पादन में 12 से 6 रैंक पर पहुँच गया और आज 15,000 किसान प्रतिवर्ष 9000 टन मधु का उत्पादन करते हैं। ये मोदी का विजन था, जो आमलोगों को पता तक नहीं चलता। इसके लिए ₹1.5 लाख ‘हनी बॉक्स’ बाँटे गए थे।
रायबरेली और अमेठी जैसे क्षेत्रों से जीतते रहे गाँधी परिवार ने अपने संसदीय इलाकों की सुध तक न ली। मोदी ने CM रहते मणिनगर के लिए और PM रहते वाराणसी के लिए अलग विभाग बना रखा है। अपने क्षेत्र की हर घटना पर उनकी नजर रहती और वहाँ क्या बदलाव हुए हैं, इसे आपको किसी से पूछने की ज़रूरत नहीं। इस आदमी को तानाशाह कहा जाता है। विरोधी कहते हैं कि मोदी को अन्य लोगों को साथ लेकर चलना नहीं आता। क्या आपको पता है कि 90 के दशक में पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और हरियाणा के प्रभारी और संगठन महामंत्री के रूप में मोदी ने ही गठबंधन के लिए सारा जोड़-घटाव कर भाजपा के सरकार गठन में बड़ी भूमिका निभाई थी?
आज दक्षिण भारत से लेकर उत्तर-पूर्व तक, हर जगह छोटे-बड़े दल NDA का हिस्सा हैं। 2019 चुनाव में भाजपा ने राजग के अंतर्गत 20 दलों के साथ मिल कर चुनाव लड़ा था। अगर आप मोदी से सिर्फ इसीलिए नाराज़ हैं क्योंकि उन्होंने आपको कलक्टर नहीं बनाया तो आप या तो मूर्ख हैं या फिर ऐसे ट्रेंड्स चला कर अपनी परवरिश जता रहे हैं। बाकी फ्रस्ट्रेशन निकाल रहे हैं तो ठीक है, इससे उन्हें और मजबूती मिलती है। कभी सोनिया ने ‘मौत का सौदागर’ कहा, कभी राहुल गाँधी ने ‘नीच’ कहा तो कभी तृणमूल ने ‘गुजरात का कसाई’ कहा। इससे वो और मजबूत होकर उभरे क्योंकि कभी अपनी नीयत में खोट नहीं आने दी।
और हाँ, ये कहना बेकार है कि विकल्प नहीं है। विकल्प बहुत हैं लेकिन मोदी के सामने तिल भर भी टिकने की हैसियत नहीं किसी की। कभी लालू, मुलायम, पवार और मायावती जैसे नेता हर चुनाव PM बनने के सपने देखते थे। आज देखिए, क्या हालत है उनकी। जदयू वाले नीतीश भाग कर गए। फिर वापस लौट कर आए। केजरीवाल वाराणसी में टकराने गया, ऐसी हार शायद ही किसी की हुई हो! ऐसे-ऐसे घाघ नेताओं के बीच मोदी ने जगह बना कर देश बदलने का बीड़ा उठाया है और कुछ लोग सोचते हैं कि कुछेक ट्रेंड्स करा कर उसे बदनाम कर देंगे। अंत मे PM मोदी के लिए अथर्ववेद (19.67) से ये कामना:
पश्येम शरदः शतम् ।।१।। जीवेम शरदः शतम् ।।२।।
बुध्येम शरदः शतम् ।।३।। रोहेम शरदः शतम् ।।४।।
पूषेम शरदः शतम् ।।५।। भवेम शरदः शतम् ।।६।।
भूयेम शरदः शतम् ।।७।। भूयसीः शरदः शतात् ।।८।।
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बहुत सारे मुद्दों पर असहमत होने के बावजूद इंफोपोस्ट ने इस आलेख को प्रकाशित किया है। इसे प्रकाशित करने का आशय सिर्फ इतना है कि जिस युवक ने यह आलेख भेजा है, वह खुद भी बेरोजगार है। फिर भी पीएम मोदी के प्रति इतना आदर… इतना सम्मान… यह मोदी जी पर बहुत बड़ा कर्ज है … इसे उन्हें उतारना ही होगा… देश से बेरोजगारी को दूर करके…