
इंफोपोस्ट न्यूज, नोएडा। राष्ट्रीय पोषण माह के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता उन घरों का लगातार भ्रमण कर रही हैं, जहां गर्भवती और धात्री महिलाएं हैं। वे गर्भवती को सेहत की बेहतर देखभाल और धात्री महिलाओं को बच्चों की देखभाल के बारे में बखूबी समझा रही हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता उन्हें बता रही हैं कि पहले हजार दिन होते क्या हैं और यह क्यों महत्वपूर्ण होते हैं?
पहले हजार दिन एक महिला के गर्भ धारण करने से लेकर बच्चे के दो वर्ष पूरे होने की अवधि है। इस अवधि को तीन चरणों में बांटा गया है। गर्भावस्था के 270 दिन, बच्चे के 12 महीने यानी 365 दिन और फिर अगले 13वें से 24वें महीने तक यानी 365 दिन। इस तरह तीनों को मिला कर कुल अवधि एक हजार दिन बैठती है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी पूनम तिवारी ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर हजार दिनों का महत्व समझाते हुए बताती हैं कि गर्भ से ही बच्चे का मस्तिष्क बनना और विकसित होना शुरू हो जाता है। गर्भावस्था के चौथे सप्ताह में मस्तिष्क की अनुमानित 10 हजार कोशिकाएं बन जाती हैं, जो कि 24वें सप्ताह तक 10 करोड़ तक हो जाती हैं।
इसका मतलब एक बच्चे का मस्तिष्क गर्भावस्था में बहुत तेजी से बढ़ता है। जन्म से दो वर्ष वह अवधि है, जिसमें मस्तिष्क सकारात्मक और नकारात्मक पर्यावरणीय आदानों के लिए सबसे अधिक संवेदनशील होता है। वह बताती हैं कि जिन बच्चों को सुरक्षित वातावरण, सम्पूर्ण पोषण और देखभाल मिली हो, उनका दिमाग अच्छी तरह विकसित होता है।
इस दौरान बरती गई लापरवाही से बच्चे के बढ़ते मस्तिष्क में अपरिवर्तनीय क्षति हो सकती है। स्कूल में अच्छा करने की उसकी क्षमता प्रभावित हो सकती है। जो बच्चे अति गंभीर कुपोषण का शिकार हो जाते हैं, उनकी कार्यक्षमता भी युवावस्था में प्रभावित हो जाती है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता महिलाओं को यह भी बता रही हैं कि गर्भावस्था में पांच सूक्ष्म पोषक तत्व आयरन फोलिक, आयोडीन, कैल्शियम, जिंक और मैग्नीशियम की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। गर्भावस्था के दौरान अपर्याप्त पोषण से महिला को एनीमिया होने का खतरा बढ़ सकता है। कम वजन वाले बच्चे, मृतजन्म,गर्भपात और गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप होने की आशंका भी होती है।
गर्भावस्था के दौरान सामान्य रूप से 11.5 से 16 किलोग्राम तक वजन बढ़ना चाहिए। गर्भवती को प्रतिदिन लगभग 1900 कैलोरी के अतिरिक्त 350 कैलोरी की जरूरत होती है। असुरक्षित वातावरण, पोषण और देखभाल की कमी के कारण बच्चों को अच्छी तरह से विकसिक होने का अवसर नहीं मिल पाता है। पहले हजार दिन सभी बच्चों को अपनी क्षमता तक पहुंचने में सक्षम बनाने के लिए एक अवसर की खिड़की जैसे होते हैं।
गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए जरूरी : प्रसव पूर्व देखभाल, आयरन-फोलिक एसिड की खुराक, पूरक पोषाहार लेना, टीटी टीकाकरण, प्रजनन स्वास्थ्य पर ध्यान, आयोडीन नमक का सेवन, स्तनपान और इन्फेंट एंड यंग चाइल्ड फीडिंग (आईवाईसीएफ) काउंसलिंग।
शिशुओं के लिए जरूरी बातें: स्तनपान एवं ऊपरी आहार, सूक्ष्म पोषक तत्व अनुपुरण, आयोडीन नमक, टीकाकरण।
छोटे बच्चों के लिए: पूरक पोषाहार, ग्रोथ मॉनिटरिंग, होने वाली बीमारियों से बचाव, स्वच्छ पीने का पानी एवं साफ-सफाई।
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गृहभ्रमण के दौरान बताती हैं कि गर्भावस्था से पहले सामान्य वजन बनाए रखें। भोजन का सेवन बढ़ाएं और पर्याप्त आराम करें। प्रसव पूर्व कम से कम चार जांच करवाएं, आयरन-फोलिक एसिड का सेवन और प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा स्वास्थ्य केंद्र या चिकित्सालय में प्रसव कराने की सलाह देती हैं।
इसके अलावा जन्म के बाद पहले घंटे के भीतर स्तनपान, पहले छह महीने केवल स्तनपान, छह महीने पूरे होने पर बच्चे को ऊपरी आहार देने, कम से कम दो साल तक स्तनपान जारी रखने, समय-समय पर बच्चे की ग्रोथ मॉनिटरिंग और उसकी निगरानी रखने की सलाह देती हैं।