
Transitional: देश में दो धर्म नजर आ रहे हैं। एक किसान धर्म। जिसके भगवान किसान हैं। और दूसरा कार्पोरेट धर्म। जिसके भगवान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताया जा रहा है। कार्पोरेट धर्म के सामने जनता, किसान, मजदूर और कर्मचारी बौने साबित किए जा रहे हैं।
Transitional: किसान कह रहे हैं, हम कार्पोरेट के भगवान मोदी को नहीं मानते
श्रीकांत सिंह
नई दिल्ली। Transitional: देश आज एक संक्रांतिकाल के दौर से गुजर रहा है। ऐसा ही संक्रांतिकाल का दौर उस समय आया था, जब 1947 में भारत का बंटवारा हुआ था। और एक नया देश पाकिस्तान अस्तित्व में आया था। बंटवारे का आधार था धर्म। हिंदू और मुसलिम धर्म।
आज भी देश में दो धर्म नजर आ रहे हैं। एक किसान धर्म। जिसके भगवान किसान हैं। और दूसरा कार्पोरेट धर्म। जिसके भगवान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताया जा रहा है। कार्पोरेट धर्म के सामने जनता, किसान, मजदूर, कर्मचारी बौने साबित किए जा रहे हैं।
कार्पोरेट धर्म के अनुयायी
इस धर्म के अनुयायी बताए जा रहे हैं सभी न्यूज चैनल, पारंपरिक मीडिया घराने यानी गोदी मीडिया और भक्त। भक्त का मतलब उस धर्म का भक्त जिसके भगवान मोदी जी हैं। ऐसा भक्त जो जन समस्याओं को उठाने वाले इंसान को बात बात पर पाकिस्तान जाने की सलाह दे देता है।
किसान कह रहे हैं, हम कार्पोरेट के भगवान मोदी को नहीं मानते। मोदी जी जिन कार्पोरेट घरानों के मुखिया मुकेश अंबानी और गौतम अडानी के लिए काम कर रहे हैं, हम उन्हीं के प्रोडक्ट का बहिष्कार करेंगे।
एयरपोर्टों के घेराव की बात
किसानों ने दिल्ली को चारों ओर से घेर रखा है और सड़क यातायात को जाम कर दिया है। किसान यह भी कह रहे हैं कि एयरपोर्टों का भी घेराव करेंगे ताकि नेता और कार्पोरेट जगत के लोग कहीं भी आ जा न सकें।
यह बहुत बड़ी बात है। क्या किसान आंदोलन और सरकार के रुख से दोनों धर्मों के लोग एक देश में नहीं रह पाएंगे? सरकार और मीडिया का रुख कुछ इसी ओर संकेत कर रहा है। क्योंकि प्रोडक्ट के बहिष्कार वाली खबर पर मीडिया भी दो भागों में बंट गया। और ऐसी भी बात सामने आई जिससे लगा कि मीडिया का एक भाग पाला बदलने लगा है।