ओम वर्मा, मोतिहारी। treatment of arthritis:
अगर आप गठिया या हड्डी के जटिल से जटिल बीमारी से ग्रसित हैं तो यह खबर आपके लिए है।
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गठिया ऐसी बीमारी है, जिससे अंख्य लोग पीड़ित हैं। बढ़ती उम्र में तो यह काफी परेशान करती है। अगर इस पर ध्यान नहीं दिया जाए तो यह बीमारी विकराल रूप धारण कर लेती है और मरीज का उठना बैठना तक मुश्किल हो जाता है। आज इसी विषय पर बात करेंगे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के डॉक्टर आनंद सौरभ से। डॉ आनंद सौरभ बीएचयू के टॉपर और गोल्ड मेडलिस्ट हैं। बीएचयू के ट्रॉमा सेंटर में तीन साल तक सुपर स्पेस्लाइजेशन किया है।
घुटना और कंधा प्रत्यारोपण में इन्हें विशेष दक्षता हासिल है। डॉ आनंद सौरभ बीएचयू में अपनी सेवा देते हैं। अपनी योग्यता और दक्षता की वजह से वह पूरे देश में चंपारण और मोतिहारी का नाम रोशन कर रहे हैं। वह अब तक सैकड़ों मरीजों को स्वस्थ कर चुके हैं। गृह शहर मोतिहारी होने की वजह से यहां भी माह में एक सप्ताह तक मरीजों को सेवा देते हैं।
मोतिहारी के कचहरी रोड स्थित पंजाब नेशनल बैंक के सामने इनका क्लीनिक है। मोतिहारी के ही गोपालपुर में इनका निवास है। वह यहां भी मरीजों को देखते हैं। इनके गोपालपुर स्थित आवास पर 27 अगस्त को इंफोपोस्ट की टीम पहुंची और इनसे गठिया, घुटना और कंधा प्रत्यारोपण पर विस्तार से बातचीत की। इस खबर में डॉ आनंद सौरभ से बातचीत का वीडियो में संलग्न है।
उम्र के साथ घुटनों का गठिया
treatment of arthritis: डॉ आनंद ने बताया कि गठिया कई प्रकार का होता है लेकिन अपने देश में मुख्य रूप से उम्र बढ़ने के साथ कई लोग गठिया के शिकार हो जाते हैं। खासकर घुटनों का गठिया। इसमें मरीज को चलने फिरने में परेशानी होने लगती है। दर्द भी बढ़ने लगता है। इसका इलाज कराना मरीज के जरूरी हो जाता है। इस बीमारी के चार चरण हैं। हर चरण के हिसाब से अलग—अलग इलाज है। कई मरीज शुरूआती लक्षण को नजरअंदाज कर देते हैं। बीमारी बढ़कर जब चौथे चरण में पहुंच जाती है तो हम लोगों के पास कोई और उपाय नहीं होता है।
लाइफ स्टाइल है बड़ी वजह
treatment of arthritis: डॉ आनंद सौरभ कहते हैं कि भागदौड़ के जीवन में इंसान खुद पर ध्यान नहीं दे पाता है। उसकी दिनचर्या बिगड़ चुकी है। टहलना और व्यायाम को सभी लोग अपनी दिनचर्या में शामिल नहीं करते हैं। खानपान पर भी ध्यान नहीं देते हैं। इससे जैसे जैसे उम्र बढ़ती है, उनकी समस्या भी बढ़ने लगती है और वे गठिया रोग के शिकार हो जाते हैं। इन सब चीजों पर ध्यान दिया जाए तो स्टेज—1 और स्टेज—2 मरीजों को दवा से ही ठीक किया जा सकता है।
स्टेज—3 और 4 में प्रत्यारोपण ही बेहतर विकल्प
अगर कोई मरीज स्टेज—3 या स्टेज—4 में आ चुका है तो उसके लिए घुटना प्रत्यारोपण ही बेहतर विकल्प है। कई मरीजों यह भ्रांति है कि घुटना प्रत्यारोपण जटि है और इसमें कई प्रकार की परेशानी आती है, जबकि वास्तव में आज की तारीख में ऐसा नहीं है। दक्ष चिकित्सक से यह आॅपरेशन करवाया जाए तो इसमें कोई परेशानी नहीं आती है। मरीज की बीमारी इस स्टेज में आ चुकी है तो उसे दक्ष डॉक्टर से संपर्क कर खुलकर बात करना चाहिए और अपना इलाज करवाना चाहिए।
घुटना प्रत्यारोपण की नयी तकनीक
treatment of arthritis: डॉ आनंद सौरभ का कहना है कि घुटना प्रत्योरण अब जटिल नहीं रहा। नयी नयी तकनीक आ चुकी है। प्रत्यारोपण के बाद सौ वर्ष तक मरीज स्वस्थ रह सकता है। हाल के 10—15 वर्षों में घुटना प्रत्यारोपण में काफी इंप्रूवमेंट आ चुकी है। घुटना का प्रत्योरोपण अगर दक्ष डॉक्टर से कराया जाए तो इसमें कोई दिक्कत नहीं आती हैं। हमने खुद वाराणसी में डेढ़ हजार से ज्यादा मरीजों का घुटना प्रत्यारोपित किया है, जिसमें मेरे गृह शहर मोतिहारी के भी कई मरीज शामिल हैं।
अमेरिका की कंपनी का कृत्रिम घुटना बेस्ट
डॉ आनंद सौरभ कहते हैं कि प्रत्यारोण में इस्तेमाल किया जाने वाला घुटना अच्छी क्वालिटी का हो और मरीज की सर्जनी अच्छे विशेषज्ञ द्वारा किया गया हो तो मरीज की कोई दिक्कत नहीं आती। अमेरिका की कंपनी का घुटना अच्छी क्वालिटी का होता है। हम लोग इसी का इस्तेमाल करते हैं। हमने आज किसी मरीज का घुटना प्रत्यारोपित किया है तो कल से ही उसकी वॉकिंग शुरू करवा देता हूं। यानी चौबीस घंटे के बाद वह अपने पैरो से वॉकर के साथ चलना शुरू कर देता है। काफी कम समय में मरीज सामान्य जीवन जीने लगता है।
आप भी कर सकते हैं संपर्क
अगर आप भी गठिया से पीड़ित हैं और इलाज में लाभ नहीं मिल रहा है तो डॉक्टर आनंद सौरभ से संपर्क कर सकते हैं। इनसे 7007604152 और 7979810652 पर संपर्क कर सकते हैं।