
UP Assembly Elections 2022: यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में जन समस्याएं हार-जीत में अहम रोल अदा करती आ रही हैं। और इसीलिए चुनाव से पहले हर दल की कोशिश इन्हें दुरुस्त करने में ज्यादा रही है। आगामी विधानसभा चुनाव में अखिल भारतीय सोशलिस्ट पार्टी हल जोतता किसान चुनाव चिन्ह के साथ चुनाव जीतने का दावा कर रही है।
UP Assembly Elections 2022: परिवहन व्यवस्था की खामियों को दूर कराने पर जोर

UP Assembly Elections 2022: अखिल भारतीय सोशलिस्ट पार्टी अब हर जिला, तहसील और गांवों में घर घर प्रचार कर रही है। सोशल मीडिया और नुक्कड़ सभाओं चुनावी मेनिफेस्टो का प्रचार प्रसार किया जा रहा है। पार्टी जन जन तक अपने संकल्प पत्रों को पहुंचा रही है।
इसी कड़ी में अखिल भारतीय सोशलिस्ट पार्टी यूपी चुनाव अभियान समिति के चेयरमैन अधिवक्ता राजेन्द्र कुमार पांडेय ने परिवहन व्यवस्था की खामियों और दूसरी जन समस्याओं के निवारण की रणनीति बनाई है। अपने संबोधन के जरिये वह जनमत तैयार करने में जुटे हैं।
उन्होंने कहा है कि अखिल भारतीय सोशलिस्ट पार्टी उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव 2022 में अपने संकल्पों के साथ एक राजनीतिक विकल्प के रूप में आई है। आज देश की हालत यह है कि देश की 80 प्रतिशत संपत्ति एक दर्जन पूंजीपतियों के कब्जे में पहुंच गई है।
सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य की व्यवस्था बेहद आवश्यक
ऐसे लोग सत्ता के बड़े सेठ और दलाल बने बैठे हैं। आम जनता गरीबी, भ्रष्टाचार, महंगाई और बेरोजगारी से जूझ रही है। किसी भी देश की तरक्की के लिए तीन चीजें बेहद आवश्यक हैं। सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य। सबसे पहले हम सड़क की बात करते हैं। सड़क से मेरा मतलब है ट्रांसपोर्टेशन से।
किसी भी तरह का हो चाहे सड़क, रेल या हवाई परिवहन हो। रेल परिवहन अभी सरकार के पास है। हवाई परिवहन पर सरकार और कुछ बड़े घरानों का आधिपत्य है। हम सड़क परिवहन की बात करते हैं, जिसका सीधा संबंध आम जनता से है।
परिवहन की बढ़ती लागत की वजह से उपभोक्ता वस्तुओं के दाम बढ़ रहे हैं। बढ़ती महंगाई का कारण अनियंत्रित पेट्रोलियम ईंधन के बढ़ते दाम, गाड़ियों पर अनावश्यक रोड टैक्स, भारी भरकम टोल टैक्स। ऊपर से आरटीओ और पुलिस की जबरदस्ती वसूली।
अंतरराज्यीय परिवहन पर हजारों रुपये की जबरन वसूली
अंतरराज्यीय परिवहन पर हजारों रुपये की जबरन वसूली की जा रही है। जिसका सरकारी खजाने से कोई लेना देना नहीं है। जिससे पूरी परिवहन व्यवस्था चौपट हो रही है। जिसका बोझ आम जनता पर पड़ रहा है। इस व्यवसाय में छोटे ट्रांसपोर्टर, ड्राइवर और उनसे जुड़े लोगों के परिवार हैं जो इस त्रासदी के शिकार हो रहे हैं।
बढ़ती महंगाई और भ्रष्टाचार की वजह से इनके लिए बैंकों की मासिक किस्त चुकाना और परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल हो रहा है। विडंबना यह है कि न तो सरकार की इस पर कोई योजना है न ही इच्छाशक्ति। करोना महामारी के समय सड़क परिवहन से जुड़े लोगों ने अपनी जान की बाजी लगाकर देश की सेवा की।
डीजल और पेट्रोल को जीएसटी के दायरे में लाया जाए
अखिल भारतीय सोशलिस्ट पार्टी एक संकल्पना के साथ आपके बीच है। पार्टी की मांग है कि एक्साइज ड्यूटी को कम करके डीजल और पेट्रोल को जीएसटी के दायरे में लाया जाए। अब पूरे देश में पेट्रोलियम पदार्थों की एक निश्चित कीमत हो। टोल टैक्स की लूट बंद हो और इन्हें सड़क से हटाया जाए।
अब पूरे देश में बैरियर फ्री आवागमन हो। जिससे सड़कों पर जाम की समस्या समाप्त हो। ई चालान बंद हों और पुलिस आरटीओ के भ्रष्टाचार पर प्रभावी रोक लगे। देश की इस पालिसी को बदलकर बेहतर मेंटिनेंस के साथ गाड़ियों की बीस साल की परमिट हो। जिससे छोटे व्यापारी हों या एक दो गाड़ियों के मालिक, उनके परिवार का पालन पोषण हो सके।
यदि सड़क पर प्रभावी नियंत्रण हो जाए तो महंगाई पर भी नियंत्रण हो सकता है। उपभोक्ता वस्तुएं देश में इधर से उधर ले जाई जा सकती हैं। और ढुलाई भाड़ा कम होने की वजह से वस्तुओं के मूल्यों पर भी प्रभावी नियंत्रण पाया जा सकता है। तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के बीच में यदि देश को आगे लेकर जाना है तो सड़क रेल और हवाई यातायात को प्रभावी बनाना पड़ेगा।