
Uttarakhand Day: आज उत्तराखंड दिवस है। क्योंकि इसी दिन एक पूर्ण राज्य के रूप में उत्तराखंड एक बेहद सुंदर राज्य बना। हिमालय की सुंदर वादियों का अद्भुत सौंदर्य यहां की पावन भूमि के कण कण में समाया है। यह सुंदर पर्वतमालाओं, झील, झरनों और बलखाती नदियों की पावन जलधाराओं का अलौकिक प्रदेश है।
Uttarakhand Day: आलेख
राजीव कुमार झा
देवभूमि कहा जाने वाला उत्तराखंड 9 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग होकर नए राज्य के तौर पर अस्तित्व में आया। और तब से यह प्रगति के पथ पर अग्रसर है।
उत्तराखंड में गंगा का उद्गम स्थल गंगोत्री को पावन कहा गया है। यहां से गंगा निकल कर हरिद्वार में पहाड़ से उतरती हैं। और देश के एक बड़े भूभाग की जीवनरेखा बन जाती हैं। गढ़वाल और कुमायूं उत्तराखंड के दो प्रमुख अंचल हैं।
और इन दोनों ही अंचलों की अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान है। उत्तराखंड साहित्य कला और संस्कृति से समृद्ध राज्य है। और साल भर यहां सुंदर पर्व त्योहार उत्सव मनाए जाते हैं। यहां की महिलाएं पारंपरिक और संस्कार संपन्न हैं। यह एक ऐसा क्षेत्र हैं जहां दूर दूर से लोग पर्यटन के लिए आते हैं। यहां का जिम कार्बेट पार्क आज भी वन्य संपदा की समृद्ध विरासत की याद दिलाता है।

पर्यटक स्थल
यहां अल्मोड़ा, नैनीताल, मसूरी और पिथौरागढ़ प्रसिद्ध पर्यटक स्थल हैं। और यमुनोत्री—गंगोत्री को भी हिंदू तीर्थस्थल माना जाता है।
शीत ऋतु में इस राज्य के कुछ हिस्सों में कड़ाके की ठंड पड़ती है। इस दौरान केदारनाथ और बद्रीनाथ मंदिर के कपाट ग्रीष्मकाल तक के लिए बंद होते हैं।

उत्तराखंड कभी सघन वनों से परिपूर्ण क्षेत्र था। और यहां देवदार के जंगलों के अलावा अन्य बेशकीमती वृक्ष प्रचुरता से पाए जाते थे।
आज राज्य बना
आज यानी 9 नवंबर को उत्तराखंड दिवस है। और इसी दिन पूर्ण राज्य के रूप में उत्तराखंड देश का एक बेहद सुंदर राज्य बना। और हिमालय की सुंदर वादियों का अद्भुत सौंदर्य यहां की पावन भूमि के कण कण में समाया है।
यह सुंदर पर्वतमालाओं और झील झरनों के अलावा बलखाती नदियों की पावन जलधाराओं का अलौकिक प्रदेश है। हिंदुओं के पावन तीर्थस्थल बद्रीनाथ और केदारनाथ उत्तराखंड में ही स्थित हैं।
इसके अलावा हरिद्वार और ऋषिकेश भी उत्तराखंड में हिंदुओं के पवित्र नगर हैं। यहां गंगा की जलधारा में स्नान करना पुण्य वर्धक माना जाता है।
ब्रिटिश काल में यहां जंगलों की खूब कटाई हुई और प्राकृतिक परिवेश को काफी हानि हुई। जंगलों के विनाश से वन्य जीव जंतु भी विलुप्त होते गए। उत्तराखंड के जंगलों में अनेक प्रकार की जड़ी बूटियां पाई जाती हैं।