Walk-in Vaccination: हर मामूली और खास काम के लिए लाइन में लगे भारत के लिए वाक इन वैक्सीनेशन की सुर्खी समाचारों के बीच तैरने लगी तो लोगों की खुशी का ठिकाना न रहा। लेकिन जब इसके पेच के बारे में पता चला तो सारी खुशी काफूर हो गई। जानते हैं भारत में कौन कौन सी वैक्सीन उपलब्ध है और क्या है टीकाकरण की व्यवस्था।
Walk-in Vaccination: लाइन में हैं कौन कौन सी वैक्सीन?
इंफोपोस्ट डेस्क
Walk-in Vaccination: दुनिया भर में 100 के करीब कोरोना वैक्सीन पर काम हो रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ के अनुसार, करीब 48 वैक्सीन पर ट्रायल एडवांस स्टेज में है। फाइजर और मॉर्डना जैसी वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की कई देशों में अनुमति भी मिल चुकी है। ब्रिटेन और अमेरिका में फाइजर की वैक्सीन का टीकाकरण शुरू हो चुका है।
भारत में तैयार हो रही स्वदेशी COVAXIN एक इनैक्टिव SARS-CoV-2 वैक्सीन है। यह हैदराबाद की लैब में तैयार हो रही है।
सीरम इंस्टीट्यूट की Covishield वैक्सीन के दो डोज की जरूरत होगी। ऑक्सफोर्ड और एस्ट्रेजेनिका की ओर से विकसित इस वैक्सीन का बड़े पैमाने पर उत्पादन पुणे स्थित लैब में हो रहा है। इसे घरेलू फ्रिज के सामान्य तापमान में भी स्टोर किया जा सकेगा। इसलिए इसे भारत जैसे देशों खासकर ग्रामीण इलाकों के लिए काफी कारगर माना जा रहा है।
डीएनए बेस्ड वैक्सीन
जाइडस कैडिला की ZyCoV-D वैक्सीन एक डीएनए बेस्ड वैक्सीन है। कंपनी के अनुसार, लोगों को इस वैक्सीन की एक ही खुराक लेने की जरूरत होगी। इंसानों के साथ-साथ कई अन्य जीवों पर भी इसका ट्रायल हो रहा है।
रूसी वैक्सीन Sputinik एक वैक्टर वैक्सीन है। भारत में हैदराबाद स्थित डॉक्टर रेड्डीज लेबोरेट्रीज (Dr Reddy’s Laboratories) इसका ट्रायल कर रही है। इस वैक्सीन को माइनस 18 डिग्री तक के तापमान में स्टोर किया जा सकता है।
बाइलॉजिकल ई लिमिटेड (Biological E. Limited) की Ad26.COV2.S वैक्सीन की दो डोज लेने की जरूरत होगी। इसका वैक्सीनेशन 28 दिन के अंतराल पर कराना होगा।
फाइजर की वैक्सीन
अमेरिकी कंपनी फाइजर की वैक्सीन अमेरिका और ब्रिटेन में लोगों को दी जा रही है। यह आरएनए बेस्ड वैक्सीन है। ट्रायल में इसे 95 फीसदी तक प्रभावी पाया गया है।
मॉडर्ना (Moderna) की mRNA-1273 वैक्सीन आरएनए बेस्ड एक वैक्सीन है। इस वैक्सीन से तैयार इम्युनिटी का शरीर पर 3 से 4 महीने तक असर बना रह सकता है।
जेनेवा बायोफार्मास्यूटिकल्स (Gennova Biopharmaceuticals) की वैक्सीन पुणे में बन रही है। यह एक आरएनए बेस्ड वैक्सीन है। इस वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान पर स्टोर किया जा सकता है।
क्या है टीकाकरण की व्यवस्था?
अगर आप सीधे सेंटर पहुंच गए तो भी आपको टीका लग जाएगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है।दरअसल, केंद्र सरकार ने 18 से 44 साल की उम्र वालों के लिए सीधे टीकाकरण केंद्र पर जाकर कोविड-19 वैक्सीन लगवाने का रास्ता खोल दिया है।
इसलिए अब 18 साल से ज्यादा और 45 साल से कम उम्र के लोग भी सीधे वैक्सीनेशन सेंटर पर रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे। फिलहल यह सुविधा केवल सरकारी वैक्सीनेशन सेंटर्स पर उपलब्ध होगी। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, राज्य सरकारें अपने स्तर पर इस बारे में फैसले कर सकती हैं। भारत में 1 मई से 18-44 एजग्रुप के लिए कोविड-19 वैक्सीनेशन शुरू किया गया था।
क्या मांग कर रहे थे विशेषज्ञ?
विशेषज्ञों की मांग थी कि वैक्सीनेशन सेंटर पर रजिस्ट्रेशन और अपॉइंटमेंट की सुविधा दी जाए। तर्क यह था कि देश की बड़ी आबादी में तमाम लोगों के पास इंटरनेट एक्सेस की सुविधा नहीं है। और वे CoWIN पर रजिस्ट्रेशन और अपॉइंटमेंट बुक नहीं कर सकते। इस कदम के बावजूद सीधे सेंटर पर जाकर टीका लगवा पाना आसान नहीं होगा।
केंद्र की मानें, तो उसने ऑन-साइट रजिस्ट्रेशन की सुविधा राज्यों और स्वास्थ्य मंत्रालय से मिले इनपुट्स के आधार पर दी है। सरकार इस कदम के लिए ऐसे लोगों तक टीकाकरण को ले जाना चाहती है जिनके पास स्मार्टफोन/इंटरनेट नहीं है।
वैक्सीन की बर्बादी रोकने का आइडिया
यह फैसला वैक्सीन की बर्बादी को भी कम कर सकता है। अगर अपॉइंटमेंट ले चुके लोग सेंटर पर नहीं पहुंचते तो वहां बिना रजिस्ट्रेशन पहुंचने वालों को भी टीका लगाया जा सकता है। लेकिन नई प्रक्रिया के तहत क्या होगा?
जो CoWIN पर रजिस्टर्ड नहीं हैं, वे सीधे नजदीकी सरकारी कोविड-19 टीकाकरण केंद्र पर जाकर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। इसके बाद वैक्सीन लगवाने के लिए अपॉइंटमेंट की जरूरत पड़ेगी। अगर वहां पर अतिरिक्त डोज उपलब्ध हैं तो टीका लगवा सकते हैं। अगर नहीं तो फिर आपको किसी और दिन वैक्सीन की राह देखनी होगी।
किस्मत अच्छी रही तो मिल सकती है डोज
अतिरिक्त डोज के अलावा अगर ऐसा होता है कि ऑनलाइन अपॉइंटमेंट लेने वाला शख्स टीका लगवाने नहीं आता है तो सरकारी सेंटर्स उन लोगों को बचे हुए टीके लगा सकते हैं जो सीधे वहां पहुंचे हैं। वॉक-इन रजिस्ट्रेशन के विकल्प का टीकाकरण की रफ्तार पर असर शायद अभी न दिखे। अगले महीने से पर्याप्त सप्लाई के बाद इस फैसले का असर दिख सकता है।
ऑन-साइट रजिस्ट्रेशन की सुविधा अभी प्राइवेट वैक्सीनेशन सेंटर्स पर उपलब्ध नहीं होगी। उन्हें पुराने प्रोटोकॉल के तहत ही वैक्सीनेशन करना होगा। यानी हर प्राइवेट सेंटर को अपने वैक्सीनेशन शेड्यूल की जानकारी एडवांस में पब्लिश करनी होगी।
अभी भी वैक्सीन की भारी किल्लत
Walk-in Vaccination: केंद्र सरकार ने इसी महीने 45 साल से कम उम्र वालों के लिए वैक्सीनेशन खोला है। अब तक उन्हें पहले ऑनलाइन रजिस्टर कर स्लॉट बुक करना पड़ रहा था। 18-44 एजग्रुप के लिए वैक्सीन की डिमांड इतनी ज्यादा है कि कई राज्यों में सप्लाई की गईं डोज खत्म हो चुकी है।
दिल्ली, महाराष्ट्र समेत कुछ राज्यों में 18 प्लस के लिए वैक्सीनेशन बंद करना पड़ा है। ऐसे में टीकाकरण निकट भविष्य में सहज और सुलभ हो पाना मुश्किल लग रहा है। व्यापक टीकाकरण के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखानी होगी। वैसे तो संक्रमण के मामले घट रहे हैं, लेकिन कोविड की तीसरी लहर का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।