Water life mission: स्वागत है आपका। गर्मी जब आती है तो अपने साथ एक बहुत बड़ी समस्या लेकर आती है। और वह है पीने के पानी की समस्या। आज की चर्चा इसी पर केंद्रित है। क्योंकि नीति आयोग ने भी इस समस्या को गंभीर बताया है।
Water life mission: दिल्ली के लिए बीआईएस के ड्रॉफ्ट में क्या है?
श्रीकांत सिंह
नई दिल्ली। Water life mission: सबसे पहले बात देश की राजधानी दिल्ली की। जिसके लिए बीआईएस यानी ब्यूरो आफ इंडियन स्टैंडर्ड ने एक ड्रॉफ्ट तैयार किया है। ड्रॉफ्ट का नाम है रिक्वायरमेंट फार पाइप्ड ड्रिंकिंग वाटर सप्लाई सर्विस, जिसमें बताया गया है कि पाइप से पानी की आपूर्ति के लिए व्यवस्था कैसी हो? क्योंकि दिल्ली में पानी का दुरुपयोग भी एक बहुत बड़ी समस्या है।
ड्रॉफ्ट को तैयार किया है बीआईएस की पब्लिक ड्रिंकिंग वाटर सप्लाई सर्विसेज सेक्शनल कमेटी ने। कमेटी का सुझाव है कि पानी के मीटर लगाए जाएं। ताकि लोग किफायत से पानी का उपयोग करें। यह तो रही शहर की बात। ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो वहां समस्या और भी जटिल है।
राजस्थान के गांवों में समस्या गंभीर
राजस्थान के गांवों में ज्यादातर लोग ग्राउंड वाटर यानी कुंए के पानी पर निर्भर हैं। जिनके हालात यह हैं कि जल स्तर काफी नीचे चला गया है। और डेढ़ सौ कुंओं में मात्र 10 में पीने का पानी मिल पाता है। वह भी गुणवत्ता के लिहाज से संदिग्ध ही होता है। वहां की महिलाएं तीन किलोमीटर पैदल चलकर अपने परिवार के लिए पानी की व्यवस्था करने को मजबूर हैं।
इसी समस्या पर जल जीवन मिशन काम कर रहा है। जिसका लक्ष्य है कि 2024 तक शहर हो या गांव, सभी को नल से पीने के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। अभी जो ग्रामीण क्षेत्रों में दूषित पानी की समस्या है, उसके लिए केंद्र सरकार क्या कर रही है? जानते हैं इस संदर्भ में केंद्र सरकार की योजनाओं के बारे में।
मामूली दर पर जल के नमूनों की जांच
Water life mission: जल गुणवत्ता की जांच रिपोर्ट का सृजन ऑनलाइन किया जा रहा है। और यह नागरिकों को संबंधित जन स्वास्थ्य अभियंता को उसकी एक प्रतिलिपि उपलब्ध कराने के साथ भेजा जा रहा है। क्योंकि अगर तत्काल कोई सुधारात्मक कदम उठाया जा सके।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस ओर पूरा ध्यान दे रहे हैं। तभी तो देश के हर ग्रामीण घर में 2024 तक नियमित और दीर्घकालिक रूप से पर्याप्त और निर्धारित गुणवत्ता का पानी पहुंचाने के लिए नल-जल आपूर्ति का अभियान चलाया रहा है। जिसके माध्यम से पेयजल के क्षेत्र में बदलाव आने की संभावना है।
दो हजार प्रयोगशालाओं की व्यवस्था
इसी अभियान के तहत पूरे देश में लगभग दो हजार प्रयोगशालाओं की व्यवस्था की गई है। जिसे आम लोगों के लिए मामूली दर पर जल के नमूनों की जांच के लिए खोल दिया गया है। जिसके तहत पानी के संयोजन वाले सभी स्रोतों के नमूनों को प्राप्त किया जाता है। और जल गुणवत्ता की जांच रिपोर्ट का सृजन ऑनलाइन किया जा रहा है।
इसे केंद्रीय डाटाबेस में भी रखा जाता है। जिससे निरंतर निगरानी और उपचारात्मक कदम उठाए जा सकें। इसके लिए पीएचईडी/बोर्ड/निगमों का आधुनिकीकरण किया जा रहा है। जिससे उनमें सही उपयोगिताओं का निर्माण किया जा सके।
ग्रामीण घरों तक स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने की दिशा में सभी प्रकार के प्रयासों को जारी रखते हुए, राज्य के अंतर्गत राज्य मुख्यालय, जिला,ब्लॉक/सब डिवीजन जैसे विभिन्न स्तरों पर जल की गुणवत्ता का परीक्षण करने वाली प्रयोगशालाओं को प्रमाणीकृत किया जा रहा है। और एनएबीएल मान्यता प्रदान करने की प्रक्रिया जारी है।
नमूना एवं जांच प्रोटोकॉल
कोविड-19 महामारी के दौरान मान्यता प्रदान करने की प्रक्रिया की शुरुआत बड़े पैमाने पर की गई है। कोविड-19 महामारी के दौरान, कोविड-19 परीक्षण के लिए अपनाई गई आवश्यकता-आधारित नमूना एवं जांच प्रोटोकॉल को व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है।
एनजेजेएम की ओर से आईसीएमआर के सहयोग से जांच और आवश्यक कार्रवाई के लिए जेजेएम-डब्ल्यूक्यूएमआईएस फ्रेमवर्क विकसित किया गया है। यह पेयजल गुणवत्ता जांच की निगरानी करने और निगरानी संबंधी सूचना का भंडार के रूप में कार्य करेगा। जिसमें जल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाओं से संबंधित सभी आंकड़े शामिल हैं।
पानी की गुणवत्ता से प्रभावित बस्तियों को प्राथमिकता
जल जीवन अभियान के अंतर्गत, पानी की गुणवत्ता से प्रभावित बस्तियों में नल जल आपूर्ति की व्यवस्था को प्राथमिकता दी गई है। अब तक, राज्यों में चिह्नित किए गए 27 हजार 544 आर्सेनिक और फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों में 26 हजार 492 बस्तियों के लिए पेयजल आपूर्ति का प्रावधान किया गया है।
अभी पाइपलाइन के माध्यम से जल आपूर्ति संरचना का विकास करने में समय लग रहा है। तब तक राज्यों को इसके लिए अल्पकालिक समाधान के रूप में सामुदायिक जल शोधन संयंत्र (सीडब्ल्यूपीपी) की स्थापना करने की सलाह दी गई है। जिससे पीने और खाना पकाने की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रति व्यक्ति न्यूनतम 8-10 लीटर स्वच्छ जल उपलब्ध कराया जा सके। पूरे देश में 32 हजार 543 सीडब्ल्यूपीपी लगाए जा चुके हैं।
नेतृत्व प्रदान करने का अधिकार
इस अभियान के अंतर्गत, ग्रामीण समुदाय को पानी की गुणवत्ता की निगरानी के लिए नियमित रूप से पानी की गुणवत्ता की जांच करने के लिए नेतृत्व प्रदान करने का अधिकार दिया गया है। प्रत्येक गांव में, पांच लोगों (महिलाओं को प्राथमिकता) को फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।
जल जीवन मिशन के तहत शुरू किए गए मोबाइल ऐप के साथ ही एक ऑनलाइन पेयजल गुणवत्ता प्रबंधन सूचना प्रणाली (डब्ल्यूक्यूएमआईएस) को हाल ही में केंद्रीय जल मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने लॉन्च किया था। इसका उद्देश्य पानी की गुणवत्ता का डेटा लोगों को उनकी उंगलियों पर उपलब्ध कराना था।
जल शक्ति मंत्रालय की पहल
जल शक्ति मंत्रालय की ओर से जल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाओं के समुचित कार्य, किसी भी प्रकार के जल गुणवत्ता संदूषण का समय पर पता लगाने, नल जल एवं स्रोतों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए ‘पेयजल गुणवत्ता जांच तथा निगरानी ढांचे’ की भी शुरुआत की गई।
प्रत्येक घर के लिए सुरक्षित पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय जल जीवन मिशन- एनजेजेएम पारदर्शिता एवं जवाबदेही के साथ सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहा है। इससे ‘बुनियादी ढांचा निर्माण’ का दृष्टिकोण धीरे-धीरे ‘सेवा वितरण’ की तरफ स्थानांतरित हो रहा है।
बुनियादी जल गुणवत्ता परीक्षण पैरामीटर
जल जीवन मिशन को 2024 तक देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार के लिए नियमित और दीर्घकालिक आधार पर गुणवत्ता सुनिश्चित करने वाले पर्याप्त मात्रा में नल के पानी की आपूर्ति प्रदान करने के लिए राज्यों के साथ साझेदारी में कार्यान्वित किया जा रहा है।
जब पिछले 15 अगस्त को इस मिशन की घोषणा की गई, तब लगभग 3.23 करोड़ घरों (17%) में नल जल की आपूर्ति होती थी। 18 मार्च, 2021 तक 3.87 करोड़ परिवारों को जल जीवन मिशन के तहत नल जल कनेक्शन उपलब्ध करा दिए गए हैं। अर्थात 7.11 करोड़ (37%) से अधिक ग्रामीण घरों में अब नल से जल की आपूर्ति हो रही है।
जल जीवन मिशन का प्रमुख लक्ष्य
प्रत्येक घर और सार्वजनिक संस्थान यानी स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, ग्राम पंचायत घर, सामुदायिक/कल्याण केंद्र आदि में पीने योग्य पानी उपलब्ध कराना इस मिशन का प्रमुख लक्ष्य है। क्योंकि स्वच्छ जल लोगों और बच्चों के समग्र स्वास्थ्य को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
इसके अलावा, राष्ट्रीय जल जीवन मिशन ने जल परीक्षण के लिए पोर्टेबल उपकरणों को विकसित करने के लिए उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के साथ साझेदारी में एक नवाचार चुनौती का शुभारंभ किया है। इसका मुख्य उद्देश्य पोर्टेबल उपकरणों को विकसित करने के लिए एक अभिनव, मॉड्यूलर और लागत प्रभावी समाधान तलाश कर सामने लाना है।
पानी की गुणवत्ता की स्मार्ट निगरानी
इसी तरह से जल शक्ति मंत्रालय पानी की गुणवत्ता की स्मार्ट निगरानी के लिए ‘सेंसर-आधारित आईओटी’ समाधान का उपयोग कर रहा है। मात्रा, गुणवत्ता और नियमितता के संदर्भ में सेवाओं में सुधार लाने के लिए, ‘स्मार्ट वाटर सप्लाई माप एवं निगरानी प्रणाली’ विकसित की जा रही है।
देश भर में नौ विभिन्न स्थानों पर ‘सेंसर-आधारित आईओटी’ समाधान के लिए पायलट परीक्षण चल रहे हैं। शिकायत निवारण के लिए, ऑनलाइन और टोल-फ्री नंबर-आधारित हेल्पलाइन भी स्थापित की जा रही है।
निष्कर्ष
Water life mission: आपने देखा कि किस प्रकार हर किसी को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए युद्ध स्तर पर काम हो रहा है। हमारा काम आप तक जानकारी पहुंचाना भर है। आपका दायित्व है कि सरकारी योजनाओं का लाभ उठाते हुए अपना जीवन बेहतर बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाएं। यह आलेख आपके लिए कितना उपयोगी लगा, कमेंट करके हमें जरूर बताएं। ताकि हम आपके लिए ज्यादा उपयोगी जानकारी की व्यवस्था कर सकें।