
सबसे पहले बता दें कि बायो सेक्योर बबल बुलबुला जैसा कुछ भी नहीं है। यह एक ऐसी व्यवस्था है, जो खिलाड़ियों को कोरोना महामारी से बचाएगी। बायो सेक्योर बबल का हिंदी में अर्थ है जैव सुरक्षा वातावरण। कोविड से रोकथाम के नियमों को बायो सेक्योर बबल कहा जाता है। इसके दायरे में खिलाड़ी, कोच, उनका सपोर्ट स्टाफ भी आता है।
क्रिकेट स्टेडियम के लिए जितनी ज्यादा टीमों को रवाना किया जाता है, बबल का दायरा उतना ही बड़ा होता है। यही कारण है कि खिलाड़ियों को उनके वैग्स यानी कि पत्नी या प्रेमिका या फिर परिवार के अन्य किसी सदस्य को साथ दुबई ले जाने की अनुमति नहीं मिली। जैसे ही खिलाड़ी टूर्नामेंट के लिए एयरपोर्ट पर उतरते हैं, यह बायो सेक्योर बबल सक्रिय हो जाता है।
एयरपोर्ट पर लैंड करते ही खिलाड़ियों को 2 हफ्ते तक क्वारंटीन होना पड़ता है, जिसके बाद ही वे खेल का अभ्यास शुरू कर सकते हैं। उन्हें मैदान से सीधे होटल रूम ही जाना पड़ता है। आईपीएल शुरू होने के बाद भी यह नियम लागू होगा। इसके बाद भी सभी खिलाड़ियों की सप्ताह में दो बार कोरोना जांच होगी।
बबल का उद्देश्य यह है कि खिलाड़ी का किसी भी अनजाने व्यक्ति से संपर्क न होने पाए, जिससे कोविड संक्रमण का खतरा न के बराबर हो। बबल से बाहर निकलने पर क्या होगा, हाल ही में हुई इंग्लैंड बनाम वेस्टइंडीज की टेस्ट श्रंखला में बायो सेक्योर बबल व्यवस्था लागू हुई थी। इसके उल्लंघन पर इंग्लैंड जोफरा आर्चर को दूसरे टेस्ट मैच से बाहर कर दिया गया था।
प्रोटोकॉल तोड़ने के कारण जोफ्रा आर्चर को 5 दिनों तक एकांतवास में भेजा गया था। उस दौरान उनका दो बार कोरोना वायरस का टेस्ट की व्यवस्था की गई। दोनों बार उनकी रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही उन्हें तीसरे टेस्ट के अंतिम ग्यारह में जगह मिली थी।
आईपीएल के लिए भी यही नियम लागू रहेगा। अगर किसी खिलाड़ी ने अपने किसी दोस्त, परिवार वाले या होटल स्टाफ के अलावा किसी अनजान व्यक्ति से मुलाकात की तो उसे एकांतवास में भेज दिया जाएगा। दो बार कोरोनावायरस रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही खेलने का मौका मिलेगा।
इस बार आईपीएल एकदम अलग होगा। न मैदान पर खिलाड़ियों में जोश भरने वाले दर्शक होंगे और न ही बॉल बॉय रहेंगे। खिलाड़ी गले भी नहीं मिल सकेंगे। देखना दिलचस्प होगा कि बायो सेक्योर बबल में ढलने के लिए खिलाड़ी कितना वक्त लेते हैं?