
What should farmers do: उत्तर प्रदेश के लगभग पचास जिलों में सूखे की मार पड़ने की आशंका है। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद किसानों की आय नहीं बढ़ पाई है। जबकि सरकार ने आश्वासन दिया था कि 2022 में किसानों की आमदनी दोगुनी कर दी जाएगी। ऐसे में सरकार से कोई उम्मीद करना व्यर्थ है। किसानों को खुद ही आगे बढ़ने के लिए उपाय करने होंगे। आज चर्चा इसी पर।
What should farmers do: कृषि बीमा योजना का लाभ दिलाने की कवायद
श्रीकांत सिंह
What should farmers do: कृषि विभाग ने उत्तर प्रदेश के 48 जिलों में सूखे की आशंका जताई है। इटावा के जिला कृषि अधिकारी कुलदीप राणा बताते हैं कि बरसात न होने की दशा में राज्य सरकार का कृषि विभाग बीमा योजना का लाभ किसानों को दिलाने के लिए आवेदन फॉर्म भरवाने में जुट गया है।
किसानों का आह्वान किया गया है कि वे हर हाल में 31 जुलाई तक किसान बीमा से जुड़े फार्म भर लें, ताकि सरकार से मिलने वाला लाभ आसानी से मिल सके। यह प्रक्रिया राज्य के हर जिले में अपनाई जा रही है।
किसान बीमा फार्म भरने की अंतिम तिथि 31 जुलाई
किसान बीमा का आवेदन फार्म भरने की तिथि 31 जुलाई आखिरी है। खरीफ-2022 मौसम के तहत विपरीत मौसमीय परिस्थितियों की वजह से प्रदेश में सामान्य वर्षा के मुकाबले मात्र 35.08 प्रतिशत वर्षा हुई है। प्रदेश के 48 जिलों में छिटपुट वर्षा सामान्य से 40 प्रतिशत से कम एवं 20 जनपदों में कम वर्षा सामान्य का 40 से 60 प्रतिशत के बीच हुई है।
यही वजह है कि अभी तक पिछले वर्ष की तुलना में छह लाख हेक्टेयर कम बुआई हुई है। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने अपील है कि किसान अधिसूचित फसलों का बीमा अवश्य करा लें। ताकि आपदा की स्थिति में क्षतिपूर्ति का लाभ उठा सकें। बता दें कि बीमित राशि का केवल दो प्रतिशत बीमा प्रीमियम के रूप देना होता है।
बावजूद इसके, सरकार किसानों की उतनी मदद नहीं कर पा रही है, जितनी कि उन्हें जरूरत है। बेरोजगारी, महंगाई के बावजूद जीएसटी की मार से आम आदमी खासतौर पर किसान बेहाल है। सरकार भी तरह तरह के प्रयोग किसानों पर ही करती है। तीनों खेती कानून इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं। बावजूद इसके, सरकार का रवैया नहीं बदल रहा है। ऐसे में किसानों को ही कुछ अलग से सोचना और करना होगा।
बागवानी से कैसे आय बढ़ा सकते हैं किसान?
खेती की परिस्थितियां दिनोंदिन विपरीत होती जा रही हैं। ऐसे में किसानों को बागवानी की ओर लौटना होगा। पेड़ की लकड़ी से लाभ कमाने के लिए सागवान के बगीचे लगाए जा सकते हैं।सागवान की लकड़ियों का इस्तेमाल प्लाईवुड, जहाज़, रेल के डिब्बे और फर्नीचर बनाने में किया जाता है। सागवान की छाल और पत्तियों से कई तरह की शक्तिवर्धक दवाएं भी बनाई जाती हैं।
पारंपरिक खेती-किसानी में लगातार होते नुकसान की वजह से किसान खेती के अन्य विकल्पों की तरफ रुख कर भी रहे हैं। तभी तो विशेषज्ञ किसानों को ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने की सलाह देते हैं। किसानों के बीच सागवान के पेड़ों की खेती काफी लोकप्रिय है। इसके पेड़ों को लगाने से किसान कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमा सकता है।
सागवान की खेती के साथ कैसे कमाएं दोहरा मुनाफा?
What should farmers do: सागवान की खेती में कमाई बहुत अधिक होती है। लेकिन ये प्रकिया काफी लंबी है। आठ से 10 वर्षों में इसकी कटाई की जाती है। ऐसे में किसान सहफसली तकनीक से खेती कर सकते हैं। सागवान के पेड़ों के बीच किसान सब्जियों और फूलों की भी खेती कर डबल मुनाफा कमा सकते हैं। ऐसे में किसान करोड़ों का मुनाफा कर सकते हैं।
सागवान के पेड़ की कीमत तैयार होने के बाद प्रति पेड़ लम्बाई और मोटाई के हिसाब से 25 हजार से 40 हजार रुपये तक आंकी जाती है। विशेषज्ञों की मानें तो, अगर किसान एक एकड़ खेत में सागवान की खेती करते हैं तो लगभग 120 सागवान के पौधे लगते हैं। जब ये पौधे कटाई के लिए तैयार होते हैं तो इससे जो कमाई होती है वह करोड़ों में होती है।