रक्षा बंधन के त्योहार को द्रौपदी और श्रीकृष्ण के संबंध के संदर्भ में भी याद किया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी के स्वयंवर में शिशुपाल, जरासंध और अन्य राजाओं से द्रौपदी की रक्षा की थी। वह अपना सुदर्शन चक्र निकालकर सभी को भयभित कर देते हैं। सुदर्शन चक्र को देखकर शिशुपाल और दुर्योधन सहित सभी भयभीत होकर वहां से चले जाते हैं।
इस पर श्रीकृष्ण का सुदर्शन चक्र और बलराम का हल गायब हो जाता है और तब श्रीकृष्ण अर्जुन की ओर देखकर मुस्कुराते हैं और उसके पास आकर कहते हैं वीर धनुर्धर तुम निर्भय होकर द्रौपदी को लेकर यहां से जाओ। ये आज से तुम्हारी हुई। हम देखते हैं कौन तुम्हारा पीछा करता है।
यह सुनकर द्रौपदी हाथ जोड़कर श्रीकृष्ण से कहती हैं-आज आपने हमारे प्राणों की रक्षा की है इसके लिए मैं आपको प्रणाम करती हूं और जीवनभर आपकी आभारी रहूंगी केशव। यह कहकर द्रौपदी श्रीकृष्ण के चरण छू लेती हैं। तब श्रीकृष्ण उसे उठाकर कहते हैं-और हम जीवनभर तुम्हारी रक्षा करते रहेंगे देवी द्रौपदी।
यह सुनकर द्रौपदी कहती हैं-वचन दे रहे हो द्वारिकापति इसे निभाओगे भी? तब श्रीकृष्ण कहते हैं- अवश्य निभाऊंगा पांचाली। आज से मैं तुम्हें अपनी छोटी बहन मानता हूं और वचन देता हूं कि किसी भी सहायता के लिए जब भी मुझे याद करोगी तो हमें उसी क्षण अपने पास पाओगी। यह सुनकर द्रौपदी पुन: प्रणाम करती है तो श्रीकृष्ण कहते हैं सौभाग्यवती भव।
इस तरह श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को बहन बनाकर उसकी हर मौके पर रक्षा की। कहते हैं कि युधिष्ठर के राजसूय यज्ञ के दौरान जब शिशुपाल ने श्रीकृष्ण का अपमान किया तो उन्होंने अपने सुदर्शन चक्र से उसका सिर काटकर उसका वध कर दिया था। इस कार्य के दौरान भगवान श्रीकृष्ण की अंगुली में चोट चोट लग गई और खून की धार बह निकली।
यह सब द्रौपदी से नहीं देखा गया और उसने तत्काल अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर श्रीकृष्ण के हाथ में बांध दिया। फलस्वरूप खून बहना बंद हो गया। तब श्रीकृष्ण ने कहा था यह पल्लू का टुकड़ा तुम्हारे बहुत काम आएगा द्रौपदी। ब्याज सहित लौटाऊंगा। तब द्रौपदी यह समझ नहीं पाई थी।
फिर कुछ समय बाद जब पांडव जुए में इंद्रप्रस्थ हार गए तब उन्होंने दौपदी को भी दांव पर लगा दिया। इस कारण दुःशासन ने द्रौपदी को उसका बाल पकड़ा और भरी सभा में चीरहरण के लिए ले आया। उस समय द्रौपदी ने श्रीकृष्ण को पुकारा तब श्रीकृष्ण ने चीर बढ़ाकर इस बंधन का उपकार चुकाया और द्रौपदी की साड़ी को इतना लंबा कर दिया कि दुशासन खींचते खींचत थक हारकर गिर पड़ा। यह प्रसंग भी रक्षा बंधन के महत्व को प्रतिपादित करता है।
शुभ मुहूर्त, राहुकाल और पंचांग—28 जुलाई 2020
विक्रम संवत्-2077, हिजरी सन्-1440-41, ईस्वी सन्-2020। अयन-दक्षिणायण। मास-श्रावण। पक्ष-शुक्ल। संवत्सर नाम-प्रमादी। ऋतु-वर्षा। वार-मंगलवार। तिथि (सूर्योदयकालीन)-नवमी।नक्षत्र (सूर्योदयकालीन)-स्वाति। योग (सूर्योदयकालीन)-शुभ। करण (सूर्योदयकालीन)-बालव।लग्न (सूर्योदयकालीन)-कर्क। शुभ समय-10:46 से 1:55, 3:30 5:05 तक। राहुकाल-दोप. 3:00 से 4:30 बजे तक। दिशा शूल-उत्तर। योगिनी वास-पूर्व। गुरु तारा-उदित। शुक्र तारा-उदित। चंद्र स्थिति-वृश्चिक। व्रत/मुहूर्त-वाहन क्रय मुहूर्त। यात्रा शकुन-दलिया का सेवन कर यात्रा पर निकलें।
आज का मंत्र-ॐ अं अंगारकाय नम:। आज का उपाय-हनुमान मंदिर में बेसन के लड्डू चढाएं।
वनस्पति तंत्र उपाय-खैर के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
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मेष। उपाय-‘ॐ शुं शुक्राय नम:’ का जप करें। सुख के साधन जुटेंगे। नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। धनार्जन होगा। प्रतिष्ठा बढ़ेगी। व्यापार-व्यवसाय अच्छा चलेगा। पारिवारिक जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ेगी। आकस्मिक लाभ होने के योग हैं। सत्कर्म में रुचि रहेगी। वाणी संयम रखें।
वृषभ। उपाय-‘ॐ शं शनैश्चराय नम:’ का जप करें। यात्रा सफल रहेगी। कोर्ट व कचहरी के काम निबटेंगे। अध्यात्म में रुचि रहेगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। आजीविका में नए अवसर मिलेंगे। किसी समस्या का हल आपके प्रयासों से संभव है। विद्यार्थियों को पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए। परिवार में खुशी, उत्साह रहेगा।
मिथुन: उपाय-‘ॐ चं चन्द्रमसे नम:’ का जप करें। चोट, चोरी व विवाद आदि से हानि संभव है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। आय-व्यय बराबर रहेंगे। धैर्य रखें। यात्रा कष्टप्रद हो सकती है, उसे टालें। प्रत्येक क्षेत्र में सावधानी रखना चाहिए। वातावरण अनुकूल होने पर भी कार्य नहीं हो पाएँगे।
कर्क: उपाय-‘ॐ ह्रीं सूर्याय नम:’ का जप करें। वाणी पर नियंत्रण रखें। लेन-देन में सावधानी रखें। राजकीय सहयोग मिलेगा। वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है। खान-पान का ध्यान रखें। रचनात्मक काम करेंगे। आर्थिक योजना सीमित रखें। लोभ-प्रलोभन से बचें। नए काम नहीं करें। संतान पक्ष कमजोर रहेगा।
सिंह: उपाय-‘ॐ बुं बुधाय नम:’ का जप करें। शत्रु परास्त होंगे। सुख के साधन जुटेंगे। संपत्ति के कार्य लाभ देंगे। रोजगार मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी। आर्थिक स्थिति संतोषजनक रहेगी। जीवनसाथी से संबंध प्रगाढ़ होंगे। परोपकार से संतोष अर्जित करेंगे। व्यापार, रोजगार अच्छा चलेगा। दूसरों की मदद करना होगा।
कन्या: उपाय-‘ॐ ह्रीं सूर्याय नम:’ का जप करें। रोग, भय व चिंता का माहौल बन सकता है। पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। विद्यार्थी वर्ग सफल रहेगा। पुराने कार्यों का विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। व्यापार में समय पर निर्णय नहीं ले पाने से नुकसान के योग हैं। क्रोध एवं उत्तेजना से दूर रहें।
तुला: उपाय-‘ॐ कें केतवे नम:’ का जप करें। चोट व रोग से बचें। शोक समाचार मिल सकता है। वाणी पर नियंत्रण रखें। जोखिम न उठाएं। भागदौड़ रहेगी। छोटी-बड़ी बात से परेशानी होगी। नौकरी में साधारण तनाव रहेगा। पारिवारिक समस्या रह सकती है। विरोधियों से सावधान रहें। यात्रा हो सकती है।
वृश्चिक: उपाय-ॐ बृं बृहस्पतये नम:’ का जप करें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। लापरवाही न करें। प्रयास सफल रहेंगे। प्रशंसा मिलेगी। प्रतिष्ठा बनी रहेगी। अधिकतर सोचे कार्यों में सफलता मिलेगी। व्यावसायिक प्रगति से राहत मिलेगी। परिवार में सुखद, सौहार्दपूर्ण माहौल रहेगा। निर्णयों में स्पष्टता रहेगी।
धनु: उपाय-‘ॐ कें केतवे नम:’ का जप करें। चोट व रोग से बाधा संभव है। अतिथियों का आगमन होगा। शुभ समाचार प्राप्त होंगे। धनार्जन होगा। व्यावहारिक संबंधों का लाभ ले पाएँगे। आर्थिक सोच बदलेगा। व्यवसाय में स्थायित्व के अवसर बढ़ेंगे। दाम्पत्य जीवन अच्छा रहेगा। व्यर्थ में परेशानी मोल न लें।
मकर: उपाय-‘ॐ ह्रीं सूर्याय नम:’ का जप करें। रोजगार में वृद्धि होगी। कोई बड़ा कार्य होने से प्रसन्नता रहेगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। उत्साहवर्धक समाचार आएँगे। सोच-विचार के अनुकूल स्थिति बनेगी। स्थायी संपत्ति क्रय करने के योग बनेंगे। रोजगार में उन्नति की संभावना है।
कुंभ: उपाय-‘ॐ चं चन्द्रमसे नम:’ का जप करें। स्वास्थ्य पर व्यय होगा। क्रोध पर नियंत्रण रखें। अपरिचितों पर भरोसा न करें। विवाद न करें। वाणी पर संयम रखें। पारिवारिक समस्याओं का हल निकलेगा। व्यावसायिक दृष्टि से समय हितकर रहने की संभावना है। प्रॉपर्टी के विवाद सुलझेंगे।
मीन: उपाय-ॐ रां राहवे नम: का जप करें। प्रतिद्वंद्वी शांत रहेंगे। शुभ समय। बकाया वसूली होगी। यात्रा सफल रहेगी। प्रसन्नता बनी रहेगी। स्वयं का सोच, लगन, मेहनत पर विश्वास करें। पूंजी निवेश का विस्तार संभव है। नौकरी में आपका महत्व बढ़ेगा। जीवनसाथी से विवाद हो सकता है।