आर के तिवारी
नई दिल्ली। बड़ा सवाल—क्या राहुल गांधी के बाद सोनिया गांधी भी कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ देंगी? उससे बड़ा सवाल—कौन होगा अगला कांग्रेस अध्यक्ष? सबसे बड़ा सवाल—क्या गांधी परिवार से बाहर का कोई नेता कांग्रेस संगठन का नेतृत्व करेगा? इन सवालों के जवाब कांग्रेस पार्टी की बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद मिल पाएगा। बैठक 25 अगस्त को दिल्ली में हो रही है। सोनिया गांधी का कार्यकाल पिछले 10 अगस्त को समाप्त हो गया था।
सबसे पहले पिछले घटनाक्रम पर एक नजर डाल लेते हैं। लगभग 30 नेताओं ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर पार्टी में आमूलचूल बदलाव करने की मांग की थी। 24 अगस्त को सुबह कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच अंतर्कलह सामने आ गई। पार्टी का यह मतभेद ट्विटर पर ट्रेंड होने लगा।
भाजपा के साथ मिलीभगत को लेकर अपने उग्र ट्वीट के बाद कपिल सिब्बल ने यू-टर्न ले लिया और अपने ट्वीट को डिलीट कर कहा कि उन्हें राहुल गांधी ने व्यक्तिगत रूप से सूचित किया था कि सिब्बल के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की। राहुल गांधी के कथित रूप से कुछ नेताओं पर बीजेपी से साठ-गांठ के आरोप लगाने के बाद कपिल सिब्बल ने ट्वीट कर अपना दर्द बयां कर दिया था।
उधर, वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ने भी ट्विटर पर लिखा था कि यदि उन पर भाजपा से सांठ—गांठ के आरोप कोई सिद्ध कर दे तो वह पार्टी छोड़ देंगे। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कह दिया है कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसी भी नेता पर कोई आरोप नहीं लगाया है। इसी के बाद कपिल सिब्बल ने अपना ट्वीट डिलीट किया था।
बता दें कि लंबे समय से पार्टी के भीतर और बाहर स्थायी नेतृत्व की मांग उठ रही है। पार्टी के कई दिग्गज कभी सामने आकर तो कभी दबी जुबान में स्थायी अध्यक्ष की मांग करते रहे हैं। कुछ नेताओं का कहना है कि गांधी परिवार से बाहर का कोई सदस्य पार्टी अध्यक्ष बनना चाहिए। किसी बाहरी को पार्टी अध्यक्ष बनाने की मांग को उस समय और अधिक बल मिला जब पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी इसके समर्थन में बयान जारी कर दिया था।
कांग्रेस की इस आंतरिक उठापटक पर विपक्षी दल टिप्पणी करने से पीछे नहीं हैं। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कांग्रेस को सही दिशा में लाने की बात करने वालों पर आरोप लगा दिया जाता है। उन्होंने कहा कि पार्टी के हितैषी नेताओं पर भाजपा से मिले होने की तोहमत लगाई जाती है।
पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि अकेले खड़े रहने पर भी वह किसी को भी कांग्रेस पार्टी को नहीं तोड़ने देंगे। सीडब्ल्यूसी की बैठक को लेकर सोशल मीडिया पर भी काफी कुछ लिखा जा रहा है। देवेंद्र यादव नाम के एक ट्विटर हैंडल पर लिखा गया है कि मीडिया सीडब्ल्यूसी की बैठक को लेकर अनर्गल और मनगढ़ंत बातें फैला रही है। एक अन्य यूजर अर्जुन ने लिखा है कि यह बैठक बंद दरवाजों के पीछे होती है। ऐसे में कोई कैसे यह बता सकता है कि वहां क्या बातें हो रही हैं।
कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार का कहना है कि पार्टी के मंच पर सभी को बोलने का अधिकार है। लेकिन पत्र लिखकर उसे मीडिया में लीक कर देना अनुशासनहीनता है। कांग्रेस नेताओं के हमलों पर राहुल गांधी ने भी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा है कि सोनिया गांधी को तब पत्र लिखे गए, जब उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं था।
इन सारे घटनाक्रमों को अलग अलग नजरिये से देखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि पिछले दिनों की घटनाएं कांग्रेस की आपसी नूराकुश्ती हैं, जिनका कांग्रेस को दूरगामी लाभ मिलेगा। हो सकता है कि कांग्रेस यह संदेश देना चाह रही हो कि पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र है और परिवारवाद के लिए कोई स्थान नहीं है। जगजाहिर है कि भाजपा समय समय पर कांग्रेस के खिलाफ परिवारवाद का आरोप लगाती रहती है।