
Work from home and depression: आफिस में काम करना सामाजिक जीवन का अभिन्न अंग होता है। कोरोना काल में लोगों से उनका यह सामाजिक जीवन छिन गया। और लोग अवसाद की चपेट में आते गए।
Work from home and depression: जीवन को नए सिरे से व्यवस्थित करने की चुनौती
सत्य ऋषि
कोरोना काल से पहले लोग आफिस जाने से जी चुराते थे। लेकिन देशव्यापाी लॉकडाउन से उन्हें पता चला कि आफिस भी उनके सामाजिक जीवन का अभिन्न अंग है। लोग आफिस के लोगों से बात करने, ठहाके लगाने और समसामयिक विषयों पर चर्चा करने को तरस गए। क्योंकि Work from home and depression: घर से काम करना पड़ा, जो अवसाद का सबब बना।
ऑनलाइन काउंसलिंग पोर्टल चलाने वाली आकृति तरफदार के मुताबिक, लॉकडाउन की वजह से लाखों लोग घर से काम कर रहे हैं। इसका मतलब जीवन को नए सिरे से व्यवस्थित करना है। इसका दिमाग पर प्रतिकूल असर पड़ता है।
सोशल मीडिया पर फैलने वाली अफवाहें
सोशल मीडिया पर फैलने वाली अफवाहें तो दिमाग खराब कर देती हैं। लंबे समय से घरों में बंद रहने की वजह से पहले से इस बीमारी की चपेट में रहने वाले लोगों की समस्या और गंभीर हो गई। मरीजों की तादाद दोगुनी से ज्यादा हो गई।
इंडियन साइकियाट्रिक सोसायटी के उपाध्यक्ष गौतम साहा के मुताबिक, कोरोना और लॉकडाउन की वजह से मानसिक अवसाद के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। रोजाना सैकड़ों नए मामले सामने आ रहे हैं। कई लोगों के लिए यह लॉकडाउन उनके जीवन में अंधेरे का दौर है।