Workers of the Century: सेंचुरी मिल मजदूर त्योहारों के जरिये भी सरकार और मिल प्रबंधन का विरोध कर रहे हैं। विश्वकर्मा जयंती के मौके पर सेंचुरी के श्रमिकों ने कहा, आज मोदी जी का जन्मदिन है और सेंचुरी के मजदूरों का मरण दिन।
Workers of the Century: पूंजीपतियों की साजिश का शिकार चार साल का लंबा संघर्ष
अंकित तिवारी
धार/ बड़वानी , मध्य प्रदेश। Workers of the Century: सेंचुरी के मजदूर लगातार रोजगार के लिए चार साल से संघर्ष कर रहे हैं। उनके संघर्ष को दबाने के लिए बिरला मैनेजमेंट तरह-तरह के षड्यंत्र रच रहा है। शासन प्रशासन भी अत्याचार करने में कोई कमी नहीं छोड़ रहा है। फिर भी मजदूरों का कहना है, जब तक हमें अपना हक और अधिकार नहीं मिलता, संघर्ष जारी रहेगा।
बड़वानी और धार जिले के ग्रामीणों ने मोदीजी के जन्म दिन पर मरण दिन मनाया गया। नारा दिया, तुम्हारा जन्म दिन—हमारा मरण दिन। बड़वानी के झंडा चौक पर गांव गांव से आए युवा बेरोजगारों ने चेतावनी दी, हमारा पुनर्वास नहीं करोगे, तो तुम्हारा पुनर्वास हम करेंगे।
मोदीजी से हो रहा किसानों, श्रमिकों पर अन्याय
गुरमीतजी गांधी, जगदीश पटेल, कमला यादव, सुमेर सिंह, राजन मंडलोई, पवन यादव, सुशीला नाथ और मेधा पाटकर ने अपनी बात रखी। वाहिद मंसूरी ने कार्यक्रम का संचालन किया। वक्ताओं ने नारेबाजी भी की, मोदीजी से हो रहा किसानों, श्रमिकों पर अन्याय। संविधान और जनतंत्र की हत्या। जाति मजहब के नाम पर हिंसा।
लॉकडाउन में थोपे गए संविधान विरोधी कानूनों पर सरकार को बदलने की चेतावनी दी गई। मेधा पाटकर ने कहा, करनाल में किसानों की ताकत ने सरकार को झुकाया तो 2022 और 2024 में भी झुकाएंगे।
पुतला पानी में डुबाया
कार्यक्रम के अंत में किसानों, मजदूरों और मछुआरों ने मोदीजी के जन्म दिन पर उनका पुतला पानी में डुबा कर उनकी अमानवीयता और असंवैधानिकता का विरोध किया।
वक्ताओं ने कहा, यह नर्मदा घाटी के 2019 के 17 सितंबर की याद में मोदी शासन का धिक्कार था। आपने जन्म दिन पर सरदार सरोवर बांध पर जश्न मनाने के साथ सरदार सरोवर में 138.68 मीटर तक जल स्तर बढ़ाया।
पानी भरते वक्त हजारों परिवार गांव में थे। घर बनने और स्थानांतरित होने बाकी थे। वैसे ही कुछ हजार लोगों को लाभ मिलना बाकी था। इसीलिए पुलिस बल के सहारे डूबते पानी से निकाल कर जिन्हें आज तक पुनर्वासित नहीं किया गया, उन्हें और सभी साथियों को लड़ना पड़ रहा है।
मोदीजी ने गुजरात को भी फंसाया
उनमें किसान, मजदूर, पशुपालक और मछुआरे भी हैं। आधा हक मिलने पर भी मंजिल तक पहुंचना ही है। जन्म दिन पर तितलियां उड़ाकर आज तक पर्यटन पर ही जोर देने वाले मोदीजी ने गुजरात को भी फंसाया है।
कच्छ और सौराष्ट्र को पानी नहीं दिया है। और अब बांध खतरे में बताकर जलाशय खाली करने के लिए जंग छेड़ रहे हैं। नर्मदा को ही बर्बाद करने में मोदी सरकार के साथ शिवराज सरकार भी दोषी है। अदालती आदेशों के खिलाफ हर जिले में अवैध रेत खनन का ठेका शिवा कार्पोरेशन ने ही लिया है।