
World Brain TumorDay: ब्रेन ट्यूमर का प्रसार बढ़ रहा है। लेकिन चिकित्सा विज्ञान में प्रगति भी हो रही है। हो सकता है कि जानकारी बढ़ने से भी ब्रेन ट्यूमर के मामलों में इजाफा हुआ हो। क्योंकि पहले चिकित्सा संसाधन बहुत ही सीमित थे। और ब्रेन ट्यूमर के तमाम मामलों का पता ही नहीं चल पाता था। विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस के मौके पर नोएडा के मेट्रो अस्पताल की ओर से एक जागरूकता अभियान चलाया गया। जाने माने न्यूरो सर्जन डॉक्टर आकाश मिश्रा और डॉक्टर अनुतोष सिंह ने मीडिया से इसी सिलसिले में बात की।
World Brain TumorDay: मेट्रो अस्पताल में उन्नत सुविधाएं
श्रीकांत सिंह
World Brain TumorDay: जाने माने न्यूरो सर्जन डॉक्टर आकाश मिश्रा ने बताया कि मेट्रो अस्पताल में उन्नत न्यूरो सर्जिकल सुविधाएं उपलब्ध हैं। उन्होंने ब्रेन ट्यूमर के इलाज से संबंधित तमाम पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि अब लगातार सिरदर्द, उल्टी, दृष्टि बिगड़ना, एंडोक्रानियल गड़बड़ी और कपाल तंत्रिका पक्षाघात जैसे लक्षणों का चिकित्सा जगत में निरीक्षण संभव हो गया है।
इस मौके पर रोगियों को सलाह दी गई कि सुनिश्चित निदान के लिए उन्हें एमआरआई करा लेनी चाहिए। मस्तिष्क के विशेष क्षेत्रों में स्थित ट्यूमर से रोगी के कई जरूरी कार्य प्रभावित हो सकते हैं। सुखद यह है कि मेट्रो अस्पताल में न्यूरो सर्जन और न्यूरो इंटरवेंशनिस्ट की एक समर्पित टीम काम करती है। न्यूरो रेडियोलाजिस्ट और न्यूरो एनेस्थेटिस्ट सर्वोत्तम संभव इलाज उपलब्ध कराने में पूरा सहयोग करते हैं।
ब्रेन सर्जरी का डर एक चुनौती
आमतौर पर मरीज ब्रेन सर्जरी से डरते हैं। लेकिन चिकित्सा तकनीक में उत्तरोत्तर हो रहे विकास से यह डर कम होने लगा है। जब एक अनुभवी टीम ब्रेन सर्जरी करती है तो परिणाम सफलता की कहानी बयां करने लगते हैं। इसलिए रोगियों को तुरंत चिकित्सा की तलाश के लिए प्रेरित किया जाता है। क्योंकि शुरुआती दौर में रोग की पहचान और समय पर इलाज से समस्या की जटिलता से बचा जा सकता है।
डॉक्टर अनुतोष सिंह ने कहा कि उन्नत चिकित्सा देखभाल के प्रति मेट्रो अस्पताल प्रतिबद्ध है। क्योंकि अस्पताल ने शक्ति नमक नए सपोर्ट कार्यक्रम के शुभारंभ की घोषणा की है। जिसका उद्देश्य ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी कराने वाले रोगियों को व्यापक और समग्र दृष्टिकोण प्रदान करना है। इसी संदर्भ में अस्पताल की चिकित्सा निदेशक डॉक्टर कनिका कंवर ने कहा कि कई उपचार विकल्प उपलब्ध होने के बावजूद इलाज के बाद मरीजों की स्थिति पर ध्यान देना जरूरी है।